दानापुर विधानसभा क्षेत्र का रहा है रोचक इतिहास, दो बार लालू प्रसाद यादव भी जीत चुके हैं चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव इसी वर्ष होना है। ऐसे में सभी पार्टी 2025 चुनाव में जुट चुकी है। इस बार का चुनाव आर-पार का चुनाव है। दानापुर विधानसभा क्षेत्र एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दो बार चुनाव जीत चुके हैं।बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज सीट का समीकरण में दानापुर विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर दबंग रीतलाल यादव 2020 में चुनाव जीते, फिलहाल वे ही यहां से विधायक हैं।

दानापुर विधानसभा क्षेत्र का रहा है रोचक इतिहास, दो बार लालू प्रसाद यादव भी जीत चुके हैं चुनाव
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DANAPUR : बिहार विधानसभा चुनाव इसी वर्ष होना है। ऐसे में सभी पार्टी 2025 चुनाव में जुट चुकी है। इस बार का चुनाव आर-पार का चुनाव है। दानापुर विधानसभा क्षेत्र एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दो बार चुनाव जीत चुके हैं।बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज सीट का समीकरण में दानापुर विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर दबंग रीतलाल यादव 2020 में चुनाव जीते, फिलहाल वे ही यहां से विधायक हैं। 

दानापुर विधानसभा क्षेत्र सभी पाटियों के लिए खास रहा है। यहां से कांग्रेस 5, भाजपा 5, राजद 3, जनता दल 2, सोशलिस्ट पार्टी 1, संसोपा 1 और निर्दलीय उम्मीदवार 1 बार चुनाव जीते हैं। अगर हम बात करें उम्मीदवार की जीत कि तो आशा सिन्हा 4 बार जीत हासिल कर चुकी हैं। बुद्ध देव सिंह 3 बार, राम सेवक सिंह 2 बार, विजेंद्र राय 2 बार, लालू प्रसाद यादव 2 बार जीत चुके हैं। वर्तमान विधायक रीतलाल यादव हैं, जिन्होंने 2020 में जीत दर्ज की थी।

दानापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पटना जिले का हिस्सा है। यह विधानसभा पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पाटलिपुत्र लोकसभा में दानापुर के साथ ही मसौढ़ी, मनेर, फुलवारी, पालीगंज और बिक्रम विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं। 1957 में दानापुर सीट पर सबसे पहले चुनाव हुए थे। 1957 में कांग्रेस को जीत मिली थी। कांग्रेस के जगत नारायण लाल ने निर्दलीय उम्मीदवार राधेश्याम सिंह को 177 वोट से हरा दिया था। लगातार दो बार 1962 और 1967 के चुनावों में रामसेवक सिंह को जीत मिली। 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के राम सेवक सिंह ने कांग्रेस के सीता राम केसरी को 5741 वोट से हरा दिया था। 1967 की बात करें तो रामसेवक सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया था। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के रामसेवक सिंह ने कांग्रेस के आरएस सिंह को 7415 वोट से हरा दिया था। 

1969, 1972, 1977 और 1980 में लगातार कांग्रेस ने ही सीट पर विजय हासिल की थी। कांग्रेस ने लगातार चार चुनाव जीते। 1969 और 1972 में लगातार दो बार कांग्रेस के बुद्ध देव सिंह ने जीत हासिल की थी। 1969 में उन्होंने संसोपा के तत्कालीन विधायक रामसेवक सिंह को 3866 वोट से हरा दिया था। 1972 में बुद्ध देव सिंह ने सोशलिस्ट पार्टी के केशव प्रसाद को 7307 वोट से हरा दिया था। 1977 में एक बार फिर दानापुर सीट से कांग्रेस को विजय मिली। इस बार उम्मीदवार राम लखन सिंह यादव थे।

उन्होंने जनता पार्टी के छबीला सिंह को 4697 वोट से हरा दिया था। 1980 के चुनाव में मुकाबला कांग्रेस के दो धड़ों के बीच हुआ। कांग्रेस आई के बुध देव सिंह ने कांग्रेस यू के सुख सागर सिंह को 1970 वोट से हरा दिया था। 1985, 1990, लगातार दो बार विजेंद्र राय को जीत मिली। 1985 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार विजेंद्र राय को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के  पृथ्वीराज सिन्हा को 12808 वोट से हरा दिया था। 1990 में दानापुर सीट पर एक बार फिर से विजेंद्र राय को ही जीत मिली थी। इस बार वह जनता दल से चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने भाजपा के अभय कुमार सिंह को 22955 वोट से हरा दिया था।1995 में राघोपुर के साथ दानापुर से भी लालू यादव चुनाव जीते थे।

1995 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दो विधानसभा सीटों राघोपुर और दानापुर से चुनाव लड़े थे। लालू यादव को दोनों सीटों पर जीत मिली थी। दानापुर में उन्होंने भाजपा के विजय सिंह यादव को 23860 वोट से हरा दिया। दोनों सीटों पर जीत के बाद लालू प्रसाद यादव ने राज्य की कमान संभाली। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राघोपुर सीट अपने पास रखी और दानापुर सीट से इस्तीफा दे दिया। लालू के इस्तीफे के बाद इस सीट पर दोबारा उपचुनाव हुए। इस उपचुनाव में भाजपा के विजय सिंह यादव ने बाजी मार ली। साल 2000 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो एक बार फिर लालू यादव दानापुर सीट से मैदान में थे।

इस बार का चुनाव उन्होंने राजद सुप्रीमो के तौर पर लड़ा। राज्य की कमान उनकी पत्नी राबड़ी देवी के हाथ में थी। इस चुनाव में भी लालू यादव ने दानापुर सीट पर जीत दर्ज की। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भाजपा के रामानंद यादव को 17555 वोट से हरा दिया। 1995 की तरह ही 2000 में भी लालू दो सीटों राघोपुर और दानापुर से चुनाव लड़े। दोनों सीट पर उन्हें जीत मिली। हालांकि इस बार उन्होंने राघोपुर सीट छोड़ दी। राघोपुर सीट पर उपचुनाव हुआ तो उनकी पत्नी और तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी यहां से जीतकर विधायक बनीं। वहीं, 2002  में लालू यादव के इस्तीफे की वजह से दानापुर सीट पर भी उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में राजद में आए रामानंद यादव को जीत मिली थी। राजद के रामानंद यादव को 75935 वोट मिले। रामानंद यादव ने भाजपा के सत्यनाराण सिन्हा को हराया। सत्यनारायण सिन्हा को महज 17928 वोट से संतोष करना पड़ा। 

30 अप्रैल 2003 को पटना के खगौल में सत्यनारायण सिन्हा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में रीतलाल यादव भी आरोपी थे। सत्यनारायण सिन्हा अपनी निजी गाड़ी से कहीं जा रहे थे। इस दौरान कुछ लोगों ने उनपर गोलियां चला दीं और उनकी मौत हो गई। इस हत्याकांड में चार लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था। उसी में दानापुर से आरजेडी के विधायक रीतलाल यादव थे। इसके बाद आशा देवी ने 2005 में दानापुर सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2005 में भाजपा की आशा देवी ने इस सीट पर पहली बार चुनाव जीता था। इसके बाद लगातार चार चुनाव में उन्हें इस सीट पर जीत मिली। 2005 में दो बार बिहार में चुनाव हुए थे। इन दोनों ही चुनावों में भाजपा की आशा देवी ने जीत दर्ज की थी।

पहले चुनाव में भाजपा की आशा देवी ने राजद के डॉ. रामानंद यादव को 7664 वोट से हरा दिया था। अक्तूबर 2005 के दूसरे चुनाव में भी मुकाबला पिछले उम्मीदवारों के बीच में ही था। इस बार भाजपा की आशा देवी ने राजद के रामानंद यादव को 17162 वोट से हरा दिया था। 2010 के चुनाव में भी भाजपा की आशा देवी को ही जीत मिली थी। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रीतलाल को 17919 वोट से हरा दिया था। रीतलाल यादव ने जेल से ही 2010 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था। 2015 में भाजपा की आशा देवी ने राजद के राजकिशोर यादव को 5209 वोट से हरा दिया था। रीतलाल यादव को मिली 2020 में जीत मिली। उन्होंने भाजपा की आशा देवी को हरा दिया। राजद के रीतलाल ने आशा देवी को 15924 वोट से हरा दिया। साल 2010 में रीतलाल यादव ने सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड में सरेंडर कर दिया था।

रीतलाल के सरेंडर करने का कारण चुनाव लड़ना बताया जा रहा था। इसके बाद उन्होंने 2010 का चुनाव जेल से लड़ा। इस चुनाव में उन्हें सत्यनारायण की पत्नी आशा देवी से हार का सामना करना पड़ा। 2020 में कोर्ट ने उन्हें जमानत मिली और वह राजद के टिकट पर विधानसभा पहुंचे। 2024 में उन्हें 21 साल तक चले सत्यनारायण हत्याकांड में निचली अदालत ने बरी कर दिया। एक जमाने में दानापुर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। वहीं, अब महागठबंधन और एनडीए बनने के बाद से यह सीट राजद और भाजपा का गढ़ बन गया है। इस चुनाव में यह सीट महागठबंधन और एनडीए में किसके झोली में जाता है, यह जनता तय करेगी।

दानापुर के रजत कुमार की रिपोर्ट