गंगा दशहरा पर आस्था की डुबकी, लेकिन अंधविश्वास का खेल भी जारी
गंगा दशहरा के पावन अवसर पर राजधानी पटना के गायघाट स्थित गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। दूरदराज से आए भक्तगण आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन इस बीचए श्रद्धा के इस सैलाब में एक विचित्र और चिंताजनक तस्वीर भी सामने आई है। गंगा घाट पर जहां एक ओर भक्तजन पूजा.पाठ में लीन हैं, वहीं दूसरी ओर अंधविश्वास का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। जमीन पर बैठी महिलाएं, 'भगत' बने पुरुष और ढोल-नगाड़े की गूंज के बीच कथित रूप से 'भूत-प्रेत' भगाने की रस्में निभाई जा रही हैं।

PATNACITY : गंगा दशहरा के पावन अवसर पर राजधानी पटना के गायघाट स्थित गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। दूरदराज से आए भक्तगण आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन इस बीचए श्रद्धा के इस सैलाब में एक विचित्र और चिंताजनक तस्वीर भी सामने आई है। गंगा घाट पर जहां एक ओर भक्तजन पूजा.पाठ में लीन हैं, वहीं दूसरी ओर अंधविश्वास का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। जमीन पर बैठी महिलाएं, 'भगत' बने पुरुष और ढोल-नगाड़े की गूंज के बीच कथित रूप से 'भूत-प्रेत' भगाने की रस्में निभाई जा रही हैं।
कई लोगों का दावा है कि बीमारियों का इलाज भी यहां इसी तरह किया जा रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो यह परंपरा पूर्वजों के समय से चली आ रही है। पत्रकारों से बात करते हुए एक भगत ने कहा कि यह हमारे पूर्वजों की परंपरा है, माता का गीत और पूजा-पाठ के साथ यह सब होता है। यह पहले भी होता था और आगे भी होता रहेगा।
मेडिकल साइंस के इस युग में जहां इलाज की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं, वहीं गंगा के पवित्र घाट पर अंधविश्वास का यह मंजर प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। खास बात यह है कि यह सब आलमगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत हो रहा है, यानी पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद इस तरह की गतिविधियां धड़ल्ले से चल रही है।
पटनासिटी से अनिल कुमार की रिपोर्ट