BIS की पटना शाखा कार्यालय ने किया 'मानक मंथन' कार्यक्रम का आयोजन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के पटना शाखा कार्यालय (PTBO) द्वारा 24 अप्रैल को 'मानक मंथन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 'प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में भारतीय मानकों की भूमिका' पर आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य प्लास्टिक अपशिष्ट से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना, नवीन तकनीकी समाधान साझा करना तथा मानकों के अनुपालन को सुदृढ़ करना था।

BIS की पटना शाखा कार्यालय ने किया 'मानक मंथन' कार्यक्रम का आयोजन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर
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PATNA : भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के पटना शाखा कार्यालय (PTBO) द्वारा 24 अप्रैल को 'मानक मंथन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 'प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में भारतीय मानकों की भूमिका' पर आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य प्लास्टिक अपशिष्ट से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना, नवीन तकनीकी समाधान साझा करना तथा मानकों के अनुपालन को सुदृढ़ करना था।

इस अवसर पर CIPET के उपनिदेशक, तकनीकी अधिकारी, प्लास्टिक पाइप निर्माता तथा अन्य संबंधित उद्योगों के 30 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के आरंभ में हिमांशु कुमार, वैज्ञानिक-सी, BIS ने BIS की प्रमुख गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मानकीकरण, अनुरूपता मूल्यांकन, प्रमाणन प्रक्रिया तथा गुणवत्ता अवसंरचना में BIS की भूमिका को विस्तार से बताया।

इसके पश्चात अनुपम सिन्हा, तकनीकी अधिकारी, CIPET ने CIPET द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों और तकनीकी उन्नतियों की जानकारी दी। उन्होंने रीसाइक्लिंग तकनीकों, स्थायी उत्पादन पद्धतियों, और नवाचार आधारित समाधानों के महत्व को रेखांकित किया।

सुधांशु सुमन, वैज्ञानिक-सी, BIS द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन एवं उससे संबंधित भारतीय मानकों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई। उन्होंने बताया कि BIS द्वारा विकसित मानक प्लास्टिक उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण, पुनर्चक्रण, और EPR (Extended Producer Responsibility) को लागू करने में कैसे सहायक हैं।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में एक इंटरएक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने प्रमाणन प्रक्रिया, अनुपालन की चुनौतियों तथा पर्यावरणीय मानकों पर प्रश्न पूछे। इस सत्र का संचालन चंद्रकेश सिंह, प्रमुख, PTBO द्वारा किया गया, जिन्होंने प्रतिभागियों को सभी तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं पर संतोषजनक उत्तर दिए।

'मानक मंथन' कार्यक्रम उद्योग जगत, तकनीकी संस्थानों और BIS के बीच संवाद और सहयोग का सशक्त मंच सिद्ध हुआ, जिससे प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को वैज्ञानिक, पर्यावरणीय एवं गुणवत्ता आधारित दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।