Lok Sabha Election 2024: नवादा में पीछे छूट जाते हैं विकास के मुद्दे और हावी हो जाता है कास्ट फैक्टर
बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक नवादा लोकसभा सीट है, यहां जातीय समीकरण तय करेगा जीत -हार का फैसला। वर्ष 1957 में नवादा लोकसभा सीट बनने के बाद यहां हुए चुनाव में कांग्रेस की सत्यभामा देवी पहली सांसद बनीं।
NAWADA: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक नवादा लोकसभा सीट है, यहां जातीय समीकरण तय करेगा जीत -हार का फैसला। वर्ष 1957 में नवादा लोकसभा सीट बनने के बाद यहां हुए चुनाव में कांग्रेस की सत्यभामा देवी पहली सांसद बनीं। इस सीट पर अभी तक 15 बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 5 बार कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि 4 बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार सीपीएम, 2 बार राष्ट्रीय जनता दल, एक बार भारतीय लोक दल और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है।
नवादा के अंतर्गत आती हैं विधानसभा की 6 सीटें : नवादा लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं, जिनमें बरबीघा, रजौली, हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर और वारसलीगंज शामिल हैं।
एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर : 2019 के लोकसभा चुनाव में एलजेपी कैंडिडेट चंदन सिंह ने जीत हासिल की थी। चंदन सिंह ने 4 लाख 95 हजार 684 वोट हासिल किया था। वहीं आरजेडी की कैंडिडेट विभा देवी ने 3 लाख 47 हजार 612 वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया तो 35 हजार 147 वोट लाकर नोटा तीसरे नंबर पर रहा था।
राजद ने श्रवण कुशवाहा को दिया टिकट : नवादा लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को चुनाव होना है। नवादा सीट से आरजेडी ने श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया है। नवादा लोकसभा सीट लंबे समय तक जातीय हिंसा और नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है। प्रत्येक चुनाव में विकास के मुद्दे पीछे छूट जाते हैं और कास्ट फैक्टर हावी हो जाता है। भूमिहार और यादव बहुल इस क्षेत्र में राजनीति की धूरी इन दो जातियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। तीसरा जाति कुशवाहा और कुर्मी की है ,जो चुनाव परिणाम इधर से उधर कर सकते है।
मुस्लिम वोटर जीत-हार का कर सकते हैं फैसला : हालांकि कुशवाहा और वैश्य समाज के अलावा मुस्लिम वोटर भी जीत-हार के बड़े फैक्टर है। यादव और मुस्लिम आरजेडी के परंपरागत वोटर माने जाते हैं। इसलिए आरजेडी ने इस बार कुशवाहा जाति के श्रवण कुशवाहा को लोकसभा का टिकट दिया है। यानि लालू यादव ने कुशवाहा वोटर को साधने का दांव चला है। अगर ये दांव सफल रहा तो एनडीए को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि यादव वोटरों में नवादा से निर्दलीय प्रत्याशी रहे पूर्वमंत्री राजबल्लभ प्रसाद क़े छोटे भाई व नवादा राजद विधायक विभा देवी क़े देवर विनोद यादव चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में यादव समाज क़े वोटरों में सेंध मार सकते हैं।
राजद की है अपनी रणनीति : कहा जा रहा है कि 2004 के चुनाव परिणाम को देखते हुए है राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने यहां से कुशवाहा समाज से आने वाले श्रवण कुशवाहा को सिंबल दिया है। माना जा रहा है कि भूमिहार के सामने कुशवाहा को उतार कर लालू ने एनडीए को टक्कर देने की भले कोशिश की है। बताया जाता है कि यहां सबसे अधिक मतदाता भूमिहार जाति के हैं और उसके बाद यादवों की संख्या है। भाजपा ने अपने परंपरागत वोट को एकजुट रखने और किसी प्रकार की गुटबाजी को रोकने के लिए भूमिहार जाति से आने वाले विवेक ठाकुर को टिकट थमा दिया।
बीजेपी ने विवेक ठाकुर क़ो बनाया प्रत्याशी : भाजपा ने नवादा से भूमिहार समाज से आने वाले विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है जबकि महागठबंधन की ओर से राजद ने श्रवण कुशवाहा को प्रत्याशी बना दिया। एनडीए पूरी तरह आश्वस्त है वैसे, देखा जाए तो इस सीट पर एनडीए का दबदबा रहा है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के भोला सिंह और वर्ष 2014 में गिरिराज सिंह ने जीत का परचम लहराया था। पिछले चुनाव में यह सीट लोजपा के खाते में थी और चंदन सिंह की जीत हुई थी।
एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर : अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर बीजेपी के गिरिराज सिंह ने 3 लाख 90 हजार 248 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। वहीं RJD के राजबल्लभ प्रसाद 2 लाख 50 हजार 91 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि JDU के कौशल यादव को 1 लाख 68 हजार 217 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे : साल 2009 में की बात करें तो बीजेपी के भोला सिंह ने 1 लाख 30 हजार 608 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं लोजपा की वीणा देवी 95 हजार 691 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहीं थी। जबकि निर्दलीय राजबल्लभ प्रसाद को 78 हजार 543 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
लोकसभा चुनाव 2004 के नतीजे : साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो RJD के वीरचंद्र पासवान ने 4 लाख 89 हजार 992 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। वहीं बीजेपी के संजय पासवान 4 लाख 33 हजार 986 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि निर्दलीय बनबारी राम को 52 हजार 384 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
नवादा से सुनील कुमार की रिपोर्ट