लालू की बेटी के निशाने पर आए नीतीश कुमार, रोहिणी बोली- समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है

रोहिणी आचार्य ने अपने ट्वीटर हैंडल से बिना सीएम नीतीश का नाम लिए लिखा है कि समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है। रोहिणी ने गुरुवार को एक के बाद एक एक्स पर तीन पोस्ट किए।

लालू की बेटी के निशाने पर आए नीतीश कुमार, रोहिणी बोली-  समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है

PATNA: बिहार का राजनीतिक गलियारा इनदिनों लगातार गरम चल रहा है। बीते दिन जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर बिना नाम लिए लालू परिवार पर हमला कर सीएम नीतीश ने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी है। वहीं उसके बाद कांग्रेस की न्याय यात्रा से दूरी और इंडिया गठबंधन में संयोजक का पद ठुकराकर नीतीश कुमार ने बड़े संकेत दे दिए हैं कि बिहार की राजनीति फिर  करवट लेने जा रही है। इसी बीच लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने ट्वीट कर आग में घी डालने का काम किया है। जिसके बाद सीएम के पलटी मारने के कयास और भी पक्के होते नजर आ रहे हैं।

रोहिणी आचार्य ने अपने ट्वीटर हैंडल से बिना सीएम नीतीश का नाम लिए लिखा है कि समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है। रोहिणी ने गुरुवार को एक के बाद एक एक्स पर तीन पोस्ट किए।

वहीं रोहिणी ने अपने दूसरे पोस्ट में लिखा है कि खीज जताए क्या होगा जब हुआ न कोई अपना योग्य, विधि का विधान कौन टाले जब खुद की नीयत में ही हो खोट. वहीं रोहिणी ने अपने तीसरे पोस्ट में लिखा है कि अक्सर कुछ लोग नहीं देख पाते हैं अपनी कमियां, लेकिन किसी दूसरे पर कीचड़ उछालने को करते रहते हैं बदतमीजियां.

रोहिणी आचार्य के पोस्ट के बाद से बिहार की राजनीति में एक बार फिर से खलबली मची है। भले ही रोहिणी आचार्य ने किसी का नाम नहीं लिया है लेकिन जिस तरह से उन्होंने हमला किया है उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि उनके निशाने पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार है। पिछले कुछ समय से नीतीश कुमार और महागठबंधन के बीच काफी दूरियां देखने को मिली है।

सरकारी विज्ञापन में तेजस्वी यादव की तस्वीर को स्थान नहीं दिया गया। शिक्षकों की बहाली, नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देना, आरक्षण, जातीय गणना इन सभी मुद्दों पर जदयू खुद क्रेडिट लेने में लगी रही तो कर्पूरी ठाकुर की सौवीं जयंती पर दोनों दलों की दूरी सतह पर दिखी। दोनों ही पार्टियों ने अपना अलग-अलग कार्यक्रम किया और पिछड़ा अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की कोशिश की।