पुलिस में हुआ वो सुधार, जो पूरे देश के लिए बन गई मिसाल !

एक वक्त था जब बिहार की पहचान जंगलराज और अपराध के लिए होती थी। लेकिन आज वही बिहार "सुशासन" और "सशक्त पुलिस" के मॉडल के रूप में देश के सामने खड़ा है। जो बात हम कह रहे हैं वो केवलश् शब्‍द नहीं, बल्कि आंकड़ों की जुबानी भी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बीते दो दशकों में राज्य ने जिस तरह पुलिस व्यवस्था को आधुनिक किया है, वह केवल आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की मजबूत भी मिसाल है।

पुलिस में हुआ वो सुधार, जो पूरे देश के लिए बन गई मिसाल !
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PATNA :  एक वक्त था जब बिहार की पहचान जंगलराज और अपराध के लिए होती थी। लेकिन आज वही बिहार "सुशासन" और "सशक्त पुलिस" के मॉडल के रूप में देश के सामने खड़ा है। जो बात हम कह रहे हैं वो केवलश् शब्‍द नहीं, बल्कि आंकड़ों की जुबानी भी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बीते दो दशकों में राज्य ने जिस तरह पुलिस व्यवस्था को आधुनिक किया है, वह केवल आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की मजबूत भी मिसाल है।

42000 से 1.10 लाख तक पहुंची पुलिस फोर्स

वो दौर याद कीजिए, जब बिहार में अपराधियों का बोलबाला था, पुलिस पंगु थी। पुलिस के पास न ढंग की वर्दी थी, न हथियार, न वाहन और न ही संचार के उपयुक्‍त संसाधन। जब मुख्‍यमंत्री नीतीश नीतीश कुमार ने 2005 में बिहार की बागडोर संभाली थी। तब प्रदेश में कुल पुलिसकर्मी सिर्फ 42,481 थे। आज यह संख्या 1,10,000 से अधिक हो चुकी है।

थानों की संख्या भी दोगुनी

एक आंकड़े की माने तो 2005 में करीब 8 करोड़ की आबादी पर जर्जर और अभाव ग्रस्‍त 817 थाने हुआ करते थे। जो अब बढ़कर 1,380 हो गई है, ताकि हर नागरिक को सुरक्षा का भरोसा मिल सके। खास बात ये कि नए बनाए जा रहे थानों को सुविधा संपन्‍न भी बनाया जा रहा है। जहां महिला पुलिस कर्मियों के लिए समुचित व्‍यवस्‍था मौजूद होगी।

वाहनों की संख्‍या 12000 के पार

बिहार की जनता ने यहां की पुलिस की वो हालत भी देखी है, जब उसके पास खटारा वाहन हुआ करते थे। नागरिकों की मदद के वक्‍त गाड़‍ियों का अभाव साफ नजर आता था। कभी गाड़ी स्‍टार्ट नहीं होती थी तो वाहनों की कमी की वजह से घटना स्‍थल पर पहुंचने में देर हो जाती थी। जिसका लाभ अपराधियों को मिलता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। वो दौर समाप्‍त हो चुका है। बिहार पुलिस के पास साल 2005 में 4008 खटारा वाहन हुआ करते थे। जो मौके पर धोखा दे दिया करते थे। मगर आज 2025 तक बिहार पुलिस के पार 12048 वाहन हैं। इनमें ज्‍यादातर एसयूवी है ऑफ रोडिंग वाले वाहन है। जो किसी भी कंडीशन और किसी भी रास्‍ते पर चलने में सक्षम हैं। इन वाहनों का प्रयोग विशेष अभियान में भी किया जा सकता है।

अब दोगुने से ज्‍यादा अतिआधुनिक हथियार

बिहार पुलिस की आधुनिकरण का इससे शानदार उदाहण नहीं होगा। जिस बिहार पुलिस के पास कभी थक चुकी थ्री नॉट थ्री की बंदूक हुआ करती थी। अब उसके पास एके 47 से लेकर इंसास और एलएमजी तक है। अगर 2005 से केवल हथियारों की ही तुलना करें तो बिहार पुलिस के पास 75602 हथियार हुआ करते थे। मगर आज बिहार पुलिसकर्मियों की संख्‍या 1.10 हजार है और डेढ़ लाख से अधिक हथियार है। बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार इस वक्‍त 2025 में 155857 ह‍थियार हैं। 

सात मंजिला सरदार पटेल भवन आधुनिकीकरण की शान

इन सब के अलावा बिहार पुलिस की शान पटना का नया बिहार पुलिस मुख्यालय है। सरदार पटेल भवन, सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि आधुनिक बिहार का प्रतीक बन चुका है। भूकंप रोधी भी है और यहां हेलिपैड समेत तमाम तकनीकी सुविधाएं हैं। जो किसी बड़े शहरों के मुख्‍यालय से भी बेहतर है। यह आधुनिक इमारत इस बात का प्रतीक है कि बिहार ‘बुलेट’ नहीं, ‘सिस्टम’ पर भरोसा करता है।