पाताल की ओर भाग रहा बिहार में पानी, सिवान से सुपौल और अररिया से औरंगाबाद तक पानी की कमी

पेयजल का संकट बिहार में होने की संभावना हो सकती है। राज्य का ऐसा ही कोई जिला 38 जिलों में हो, जहां भू-जल स्तर नीचे का रुख न किया हो। वहीं, जल स्तर तो गिर ही रहा है, पीने के पानी की क्वालिटी भी खराब होती जा रही है।

पाताल की ओर भाग रहा बिहार में पानी, सिवान से सुपौल और अररिया से औरंगाबाद तक पानी की कमी

पाताल की ओर भाग रहा बिहार में पानी, सिवान से सुपौल और अररिया से औरंगाबाद तक पानी की कमी

NBC24 DESK - भयावह जल संकट के आसार बिहार में दिख रहे हैं। साल दर साल लगातार भू-जल स्तर (Ground Water Level) गिरता ही जा रहा है। हर घर नल का जल योजना तकरीबन 29 हजार करोड़ रुपये की लागत से बना का कोई खास लाभ लोगों को मिल नहीं पा रहा है। अव्वल तो नल जल योजना में कहीं बोरिंग हुआ तो पाइप नहीं बिछी। पाइप बिछी तो बोरिंग फेल। तकरीबन हर पक्के मकानों में  निजी ट्यूबवेल हैं। ट्यूबवेल के जरिये धरती से पानी लगातार निकलते रहने से यह स्थिति पैदा हुई है बढ़ती आबादी इसका कारण हैं। नल जल योजना नीतीश कुमार के सात निश्चय में भी शामिल थी।

पीने के पानी की सप्लाई सरकारी दावे के अनुसार  कुल 14 हजार 651 वार्डों में 13 हजार 472 में सरकारी नलकूप से शुरू हो गई है। नल के जरिये 1 करोड़ 83 लाख घरों में जल पहुंच रहा है। वहीं जब कई जगहों से योजना शुरू न होने की शिकायतें मिलने लगीं तो इस दावे की पोल तब खुली। मुखिया और वार्ड मेंबरों की तलाशी शुरू करा दी गई हैं। साथ ही, कुछ के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए, लेकिन ज्यादातर अब भी बचे हुए हैं उनके खिआफ़ कोई भी अवि तक साबुत नहीं मिला हैं। रोजाना 6 घंटे जलापूर्ति की जा रही है ऐसा सरकार का दावा है। हकीकत है कि सुबह-शाम भी पानी की सप्लाई ठीक से घंटे-दो घंटे नहीं हो पाती। कहीं नल लग गया है तो जल ही नदारद है। वहीं कई जगहों पर तो जल सड़क पर पानी बहता रहता है।

आर्सेनिक की समस्या से बिहार के कुल 14,651 वार्डों में 4709 वार्ड प्रभावित हो रहे हैं। पानी पीने के योग्य कम गहराई से निकला पानी नहीं है। नल जल योजना में राज्य सरकार का दावा है कि इनमें 4629 वार्ड कवर हो चुके हैं। वहीं सच तो ये है कि ग्रामीण इलाकों में अब भी नल जल योजना कारगर नहीं हो पा रही है, बस सरकार ने वाटर सप्लाई का ढांचा तो तैयार कर लिया है। साथ ही ऐसे अभी भी कई गांव तो ऐसे हैं, जहां नल से जल की बूंद भी नहीं टपकी रही। उदाहरण के तौर पर सिवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के कैल पंचायत के शिवधरहाता, नहीबाता, चुल्हाईहाता और मुसेहरी जैसे और भी कई गांव हैं, जहां पाइप तो बिछा दी गई है, पर नल किसी के भी दरवाजे पर नहीं दिखता। अगर नल लग भी गया तो किसी भी गांव में आज तक नल नहीं आया। वहीं कुछ जगहों पर तो बोरिंग होते ही ट्यूबवेल फेल हो गया। उसकी सुधि ही तब से किसी ने नहीं ली। हर साल राज्य में गिरते भू-जल स्तर के बारे में सरकार की रिपोर्ट यह कहती है कि इसमें गिरावट साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। पीने के पानी की क्वालिटी पर भी गिरते जल स्तर से असर पर रहा है। साथ ही ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में लोगों को बिहार में पीने और सिंचाई के लिए परेशानी हो सकती है। वहीं मानसून से पहले ही भू-जल स्तर का आंकड़ा कुछ महीने पहले ही विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में बताया गया कि खतरनाक संकेत दे रहा है। सिवान, गोपालगंज, सारण, औरंगाबाद, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर खगड़िया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया जिले के भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है। आधा से एक मीटर नीचे जल स्तर हर जिले में चला गया है।