गर्मी के मौसम में अगलगी की घटनाओं को रोकने के लिए बरतें ये सावधानियां, यह काम भूलकर भी ना करें

गर्मी का मौसम शुरू होते ही अगलगी की घटनाएं बढ़ जाती है। ऐसे में अगर हम जागरूक एवं सावधान रहें तो अगलगी की घटनाएं नहीं होंगी। अभी से लेकर जून तक का महीने में अगलगी की घटनाएं अधिक होती हैं।

गर्मी के मौसम में अगलगी की घटनाओं को रोकने के लिए बरतें ये सावधानियां, यह काम भूलकर भी ना करें

PATNA : गर्मी का मौसम शुरू होते ही अगलगी की घटनाएं बढ़ जाती है। ऐसे में अगर हम जागरूक एवं सावधान रहें तो अगलगी की घटनाएं नहीं होंगी। अभी से लेकर जून तक का महीने में अगलगी की घटनाएं अधिक होती हैं। कई बीघे की तैयार फसल भी राख हो जाती है। ऐसे में सभी से सचेत, जागरूक एवं सतर्क रहने की अपील पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने की है। उन्होंने अधिकारियों को भी अगलगी की घटनाओं से बचाव के लिए जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया है। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग एवं बिहार अग्निशमन सेवा द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन करने का आह्वान भी किया है। उन्होंने कहा कि मार्च से जून तक अग्निकांड से सुरक्षा एवं बचाव के लिए विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। इस अवधि में पछुआ हवा तेज गति से चलती है। गांवों में अगलगी की घटनाएं होने पर खेत, खलिहान, खड़ी फसल के साथ जान-माल की भी क्षति होती है। डीएम ने कहा कि ऐसी स्थिति में आग लगने की घटनाओं की रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक उपाय जरूरी है।

क्या करें :

स्टोव या लकड़ी, गोइठा आदि के जलावन वाले चूल्हे पर खाना बनाते वक्त सावधानी बरतें। हमेशा सूती वस्त्र पहनकर ही खाना बनाएं।

गेहूं की कटनी तथा ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गांव के बाहर खलिहान में जाकर करें।

घर व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें।

खाना पकाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोड़ें।

खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए। इस बात की पूरी तसल्ली कर लें।

तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करें।

तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें, सिर्फ बेकिंग सोडा एवं नमक डालें या उसे ढंक दें।

खिड़की के बाहर कोई चादर या तौलिया लटका दें ताकि बाहर लोगों को पता चल सके कि आप कहां हैं और आपको मदद चाहिए।

गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर का नॉब बंद कर दें।

बिजली के तारों एवं उपकरणों की नियमित जांच करें।

घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो।

आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बताएं, फिर दमकल विभाग जैसा कहे वैसा ही करें।

क्या न करें : 

बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य सामानों के पास न जाने दें।

बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहां-तहां न फेंकें, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंकें।

चूल्हा, ढिबरी, मोमबत्ती, कपूर इत्यादि जलाकर न छोड़ें।

अनाज के ढेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं।

सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएं।

आपके कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि जमीन पर लेटकर गोल-गोल घूमकर आग बुझाएं।

खाना बनाने के समय ढीले-ढाले कपड़े न पहनें।

अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें।

गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुएं।

खाना पकाते समय रसोईघर में बच्चों को अकेला न छोड़ें।

हवा के झोंकों के तेज होने के पहले ही खाना पकाकर चूल्हे की आग को पानी से पूरी तरह बुझा दें। 

चूल्हे की आग की चिंगारी पूरी तरह बुझी हो, इसे सुनिश्चित कर लें।

घर से बाहर जाते समय बिजली का स्विच ऑफ हो, यह सुनिश्चित कर लें।

खाना वैसी जगह पकाया जाए, जहां हवा का झोंका न लगे। 

बीड़ी-सिगरेट पीकर इधर.उधर या खलिहान की तरफ न फेंके। 

गैस सिलेण्डर की आग से सुरक्षा एवं बचाव के लिए ये करें :

सुरक्षा कैप को नायलॉन धागे से सिलेण्डर के साथ बांध कर रखें।

गैस सिलेण्डर लेते समय एवं रेगुलेटर फीट करने के बाद भी पानी से जांच लें कि बुलबुला दे रहा है या नहीं।

जब सिलेण्डर उपयोग में न हो तो वॉल्व पर सुरक्षा कैप लगा दें।

गैस सिलेण्डर हमेशा खड़े रखें।

गैस स्टोव को गैस सिलेण्डर के स्तर से सदैव ऊंचे प्लेटफॉर्म पर रखें। 

जलते हुए चूल्हे को पहले रेगुलेटर से, उसके बाद स्टोव वाल्व से बंद करें।

रेगुलेटर का पाईप समय-समय पर साफ करते रहें एवं समय पर पाईप बदल दें। 

किचेन में एक सूती कपड़ा भिंगोकर हमेशा रखें ताकि आपात स्थिति में आग लगने पर बुझाया जा सके। 

खाना बनाते समय एक बाल्टी पानी के साथ मग अवश्य रखें।

एक प्रोटेबल अग्निशमन यंत्र 04 केजी एबीसी टाईप किचेन में अथवा दरवाजे के पास बाहर रखें। 

कपड़ों में आग लगने पर भागे नहीं बल्कि जमीन पर लुढ़कें अथवा कम्बल से लपेटकर रोल करें।

किचेन में हमेशा एक ही सिलेण्डर रखें।

क्या न करें :

सिलेण्डर को यथासंभव बंद स्थान में न रखें।

चूल्हे पर उबलते हुए चाय, दूध आदि को छोड़कर किचेन से बाहर न जाएं।

खाना बनाते समय ढिला-ढाला वस्त्र का प्रयोग न करें।

अगर किचेन में गैस की गंध आ रही तो इलेक्ट्रिक पैनल, स्वीच के साथ छेड़छाड़ न करें।

माचिस, सिगरेट, लाईटर एवं गैस सिलेण्डर को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। 

बच्चों को कभी अकेले रसोई घर में न जाने दें।

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अग्नि सुरक्षा से 

संबंधित  ध्यान देने योग्य बातें 

क्या करें :

एक बड़े से ड्रम में पानी हमेशा भरकर घर या खेत खलिहानों में रखें।

कुछ छोटी बाल्टी में रेत या बालू रखें।

एक.दो जूट की पुरानी बोरी को पानी में भीगों कर रखें।

रोशनी के लिए बैट्री वाले संयंत्र जैसे टार्च, इमरजेंसी लाईट आदि का प्रयोग करें।

यदि आसपास कोई तालाब या अन्य जलस्रोत हो तो वहां से खलिहान तक का पाईप और पम्पसेट तैयार रखें।

क्या न करें : 

थ्रेसर चलाने में उपयोग होने वाले डीजल इंजन या टैक्टर के धुआं वाले पाईप से हवा की दिशा में अनाज का बोझा नहीं रखें।

बिजली के तार के किसी भी जोड़ को ढीला या खुला न छोड़ें।

बिजली के जोड़ को कभी भी प्लास्टिक से नहीं बांधे

बिजली के कनेक्शन के लिए कम या खराब गुणवत्ता वाले तार का प्रयोग न करें।

खलिहान के आसपास बीड़ी, सिगरेट स्वयं न पीएं और न किसी अन्य को पीने दें।

आग लगने पर 101 या 112 डायल करें।