नवादा में बालश्रम उन्मूलन पर गहन मंथन एवं कार्यशाला आयोजित किया गया।

नवादा में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर बुधवार को गहन मंथन हुआ। होटल बुद्धा रेजेंसी के सभागार में इस विषय पर आयोजित कार्यशाला में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों, बाल श्रम से जुड़े परिवारों, स्थानीय प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखी।

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Nbc24 desk:- नवादा में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर बुधवार को गहन मंथन हुआ। होटल बुद्धा रेजेंसी के सभागार में इस विषय पर आयोजित कार्यशाला में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों, बाल श्रम से जुड़े परिवारों, स्थानीय प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखी। सांसद चंदन सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

सांसद ने आयोजकों को धन्यवाद देते हुए कहा की हमारे संसदीय क्षेत्र में आपलोगों ने बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में जो पहल किया है, वह सराहनीय है। मेरा पूरा सहयोग आपलोगो को मिलेगा। जरूरत पड़ेगी तो संसद में भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा।

कार्यशाला में अपनी बात रखते हुए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, नई दिल्ली की इतिश्री साहू ने कहा कि बाल श्रम समाज के विकास में बड़ा अवरोधक है। आम तौर पर यह धारना बना दी जाती है कि रोजगार नहीं है। मुद्दा यह नहीं है, बल्कि जरूरत इस बात कि है की किसी के साथ भेदभाव न हो। जमीनी बातें सामने आनी चाहिए। तभी समस्या का समाधान हो सकेगा। जहां बाल श्रम है वहां के लोगों से बातचीत कर स्थिति को सामने लाना होगा। फिर उनकी जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम तय कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने बताया की हमारी संस्था फिलहाल 6 देशों भारत, नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, म्यामार, पाकिस्तान में काम कर रही है। भारत के कई राज्यों में बाल श्रम उन्मूलन पर काम हो रहा है। बिहार और झारखंड को भी शामिल करना है। बिहार- झारखंड की स्थितियों से अवगत होने आई हूं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जनहित विकास समिति के सचिव एमपी सिन्हा ने कहा कि गांवों के विकास का विकास जरूरी है। लोगों को काम रोजगार से जोड़ना होगा। लोग आर्थिक रूप से सशक्त होंगे तो बाल श्रम पर रोक लग सकेगा। अर्थाभाव में लोग अपने बच्चों को बाल श्रम में झोंक देते हैं। उन्होंने कहा की बिहार के नवादा, जमुई और झारखंड के जमुई जिला में अभ्रक खदानों में ढिबरा चुनने के काम में बड़ी संख्या में बच्चे जुड़े हुए हैं। 80- 100 फीट गड्ढे और सुरंग में घुसकर बच्चे ढिबरा चुनने का काम करते हैं। साल दर साल संख्या बढ़ती जा रही है। इनके मां पिता आर्थिक तंगी के कारण ऐसा करते हैं। ऐसे बच्चे स्कूल तक नहीं जाते हैं। हमारी संस्था इन जिलों के उन गांवों का सर्वे करा रही है। गांवों में रोजगार कैसे पैदा हो और बाल श्रम मुक्त हो इस दिशा में विस्तृत कार्य योजना तैयार कर सरकार और जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी। फिर आगे उसे अमल में लाया जाएगा।

मौके पर श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी अमित कुमार, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुश्रवण और मूल्यांकन पदाधिकारी शंकर तलवार, जॉन आरूल रॉय, प्रो. जगदीश प्रसाद ने भी अपनी बातें रखी।

संबंधित जिलों से आए पंचायत प्रतिनिधियों, बाल श्रम से जुड़े लोगों ने स्थानीय स्तर की समस्याओं को रखा। चितरकोल पंचायत की मुखिया पूजा कुमारी ने अभ्रक खदानों में काम कर रहे बच्चों को बाल श्रम से मुक्ति दिलाने में अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दी।