18 साल बाद फैसला: 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस में ब्लास्ट के दोषी आतंकियों को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा, 16 लोगों की हुई थी मौत, 62 हुए थे जख्मी

जौनपुर की अपर सत्र अदालत ने 2005 में श्रमजीवी ट्रेन में हुए बम ब्लास्ट के दोषी आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है। इस आतंकी ब्लास्ट में 16 यात्री मारे गए थे, जबकि 62 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे..

18 साल बाद फैसला: 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस में ब्लास्ट के दोषी आतंकियों को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा, 16 लोगों की हुई थी मौत, 62 हुए थे जख्मी

PATNA: जौनपुर की अपर सत्र अदालत ने 2005 में श्रमजीवी ट्रेन में हुए बम ब्लास्ट के दोषी आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है। इस आतंकी  ब्लास्ट में 16 यात्री मारे गए थे, जबकि 62 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। पटना के फुलवारी शरीफ के रहने वाले एक गरीब परिवार के कई सदस्य अजमेर शरीफ जा रहे थे, इस दौरान ट्रेन ब्लास्ट की चपेट में आकर परिवार के मुखिया मोहम्मद कमालुद्दीन की मौत हो गई थी जबकि परिवार के कई लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। जिसमें कई बच्चे भी शामिल है बच्चे बड़े हो गया है 18 साल बाद यह आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों को अदालत में फांसी के साथ सुनाई है इसकी जानकारी मिलने पर परिवार के लोगों का जग एक बार फिर से हरा हो गया है। परिवार वालों के दुख है कि सरकार के द्वारा नौकरी का नाम किया गया था, लेकिन आज तक नौकरी नहीं मिली।

 दरअसल,बुधवार को जौनपुर की अपर सत्र अदालत ने जुलाई 2005 में जौनपुर के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम विस्फोट के मामले में आरोपी दो और लोगों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनायी। जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश पाण्डेय ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार राय की अदालत ने 28 जुलाई 2005 को जौनपुर के सिंगरामऊ के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए विस्फोट के मामले में बांग्लादेश के हिलाल उर्फ हिलालउद्दीन और नाफिकुल विश्वास को सजा-ए-मौत सुनायी। दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन बम विस्फोट कांड में कुल 16लोगों की मौत हुई थी तथा 62 अन्य घायल हो गये थे। मृतकों में फुलवारी के मोहम्मद कमालुद्दीन भी शामिल है।

जौनपुर के जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में छह अभियुक्तों के खिलाफ अभियोग पत्र दायर किया गया था। जिनमें दो मुठभेड़ में मारे गये, दो को 2016 में फांसी की सजा सुनायी गयी थी। इन दोनों आरोपियों की फाइल अलग कर देने से इनका फैसला सात साल बाद आया।

पटना जिले के फुलवारी शरीफ के नहरपुरा ईसापुर के रहने वाले रजाई बनाने और रुई धुनने के कारोबार से जुड़े गरीब परिवार के मोहम्मद कमालुद्दीन की ब्लास्ट में मौत हो गई थी और उनके परिवार के कई लोग जख्मी हुए थे ।मोहम्मद कमालुद्दीन के परिवार के कई सदस्य कई आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी उस बम ब्लास्ट वाले हादसे को याद कर सिहर उठते हैं। कमालुद्दीन का पोता आमिर अब 17 साल का हो गया है जो उस समय महज 8 साल का था। उसने अपनी आंखों से वह भयानक मंजर देखा था। कमालुद्दीन का बेटा मुन्ना की भी आठ माह पहले मौत हो चुकी है । कमालुद्दीन का परिवार फुलवारी नगर परिषद के वार्ड नंबर 16 अंतर्गत नहरपुरा इलाके में रहता है।

परिवार वालों को मलाल है कि सरकार ने नौकरी देने के ऐलान किया था लेकिन कमालुद्दीन का बेटा मुन्ना परिवार को सरकार की तरफ से नौकरी मिलने की आस में अफसरो के दरवाजे पर दौड़ लगाते लगाते इस दुनिया से चले गए। कमाल उद्दीन का पोता 17 वर्षीय आमिर कोईलवर में रजाई बनाने का छोटा सा दुकान चलाता है जबकि उसकी मां मिन्नत खातून फुलवारी शरीफ में है।मिन्नत यहां अपने दो छोटे-छोटे बच्चे सुल्तान 8 साल आजाद 6 साल बेटी गुलअफशा एवं अन्य परिवार वालों के साथ रहते हैं।

 मोबाइल पर आमिर ने बताया कि उसकी दादी आजीवन खातून दादा कमालुद्दीन वह और अपनी बहन और फूफी की बेटी के साथ अजमेर शरीफ जा रहे थे। बम ब्लास्ट में उनके दादा की मौत हो गई थी जबकि उसका और उनकी बहन खुशबू का पैर जल गया था। उनकी फुफु की बेटी के शरीर में कई बड़े जख्म हुए थे और 1 साल बाद इलाज के बाद वह इस दुनिया को छोड़कर चली गई।हादसे के वक्त ऊनलोगो के साथ रही उनकी फुफू की बेटी रौशन (उस समय 12 साल) की थी जिसकी मौत 1 साल बाद ही हो गई थी। आमिर ने बताया कि सरकार के तरफ से रौशन के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया गया।

दानापुर से रजत राज की रिपोर्ट