हिसुआ में कागजों पर चल रहा मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना, शिक्षा सेवकों द्वारा किया गया खानापूर्ति

नवादा में मुख्यमंत्री की महात्वाकांक्षा क़ो शिक्षा सेवक धरातल पर नहीं उतार रहे हैं। मुख्यमंत्री अक्षर अंचल योजना क़ो शिक्षा सेवक सिर्फ कागजों पर चला रहे हैं।

हिसुआ में कागजों पर चल रहा मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना, शिक्षा सेवकों द्वारा किया गया खानापूर्ति

NAWADA: नवादा में मुख्यमंत्री की महात्वाकांक्षा क़ो शिक्षा सेवक धरातल पर नहीं उतार रहे हैं। मुख्यमंत्री अक्षर अंचल योजना क़ो शिक्षा सेवक सिर्फ कागजों पर चला रहे हैं। इसका जीता जागता प्रमाण तब मिला जब रविवार क़ो ली जा रही महापरीक्षा भी मजाक साबित हुआ। मीडिया द्वारा सर्वेक्षण किया गया तो कई परीक्षा केंद्र बंद पाए गए तो कई ऐसे केंद्र थे, जहां केंद्राधीक्षक ,शिक्षा सेवक एवं परीक्षा देने वाली नवसाक्षर महिलाएं भी नहीं दिखी। मजाक तो उस वक्त साबित हुआ जब केंद्र पर जाकर जांच किया गया तो पता चला कि वहां आठवीं, मैट्रिक और इंटर पास महिलाएं भी परीक्षा दे रहे थे। वहीं एक शिक्षासेवक की पत्नी परीक्षा देने पहुंची केंद्र बंद था, लेकिन बोली हम हरेक वर्ष परीक्षा में परीक्षा देते हैं। न तो शिक्षा सेवकों क़े पास परीक्षार्थियों का लिस्ट था और न हीं कोई परीक्षार्थी।

बता दें कि रविवार क़ो मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सीआरसी स्तर पर नवसाक्षर महिलाओं की बुनियादी महापरीक्षा जानी थी। रविवार को जिले क़े हिसुआ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कार्यरत शिक्षा सेवक एवं तालीमी मरकज कर्मियों के द्वारा महापरीक्षा का संचालन किया जाना था। इस क्रम में हिसुआ प्रखंड क्षेत्र में कुल 940 नवसाक्षर महिलाओं का महापरीक्षा सीआरसीसी स्तर पर चयनित विद्यालयों में निर्धारित किया गया था। जिसमें रविवार को कुल 47 शिक्षा सेवकों एवं तालीमी मरकज़ द्वारा 940 नव साक्षर महिलाओं ने परीक्षा में भाग  लेना था। लेकिन कुछ सेंटरों पर महिलाओं क़ो बुनियादी महापरीक्षा महज खानापूर्ति किया गया, जहां कहीं - कहीं तो केंद्र हीं नहीं खोला गया। शिक्षा सेवकों से संपर्क किया गया तो बोला गया कि विभागीय जांच होगा तो हम सबूत और कॉपी जांचा हुआ दिखा देंगे।

गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा 2013 में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना का शुभारंभ कर पूरे बिहार में निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की एक मुहिम चलाई गई। जिसके तहत प्रत्येक प्रखंड में शिक्षा सेवक एवं तालीमी मरकज कर्मियों की नियुक्त कर दलित और महादलित समुदाय की 15 से 45 वर्ष की वैसी महिलाएं को साक्षर बनाने का प्रयास किया गया, जो पूर्व से निरक्षर थी। वैसी महिलाओं को चिन्हित कर प्रत्येक शिक्षा सेवक व तालीमी मरकज कर्मियों के द्वारा 20 महिलाओं को नामांकन कर उन महिलाओं को दो घंटे विभागीय नियमानुसार साक्षर बनाने का कार्य किया जाना तय किया गया था । उन्ही चिन्हित महिलाओं के लिए रविवार को बुनियादी महापरीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा के उपरांत सभी परीक्षार्थियों के कॉपी की मूल्यांकन करते हुए उनका ग्रेडिग कर उक्त महिलाओं को प्रमाण पत्र भी दिया जाना सुनिश्चत किया गया था।

बता दें कि मध्य विद्यालय भदसेनी केंद्र  पूर्णरूपेण से 12:30 अपराह्न तक बंद पाया गया। जब वहां मीडिया पहुंची तो भागे-भागे  12:30 बजे क़े बाद 04 शिक्षा सेवक सोनी राजवंशी, जागेश्वर मांझी, राजेंद्र मांझी एवं वीरेंद्र कुमार आए। विद्यालय में केंद्राधीक्षक नहीं रहने क़े कारण विद्यालय बंद था। उसके बाद एक शिक्षिका क़े ससुर ने आकर विद्यालय खोला, लेकिन एक भी नवसाक्षर महिला परीक्षा देने नहीं पहुंचे। अब सवाल यह उठता है कि बिना केंद्राधीक्षक और नवसाक्षर महिला क़े परीक्षा कैसे सफल होगा। जबकि उन शिक्षा सेवकों क़े पास कोई लिस्ट भी नहीं था कि कौन परीक्षा देंगे। वहीं दूसरा केंद्र मध्य विद्यालय बढ़ौना में दो सेंटर थे ,जहां एक भी नवसाक्षर महिला थी। केंद्राधीक्षक उमेश कुमार ने पहले तो कहा दो -तीन महिलाएं आए। लेकिन मौजूद शिक्षा सेवक हीरा लाल भुईंया एवं चन्द्रिका मांझी 08-08 कॉपियां लिखी हुई रखे थे। जांच पर पाया गया कि एक भी महिला नहीं आयी और दोनों शिक्षा सेवक स्वयं कॉपी भरकर बैठे हुए थे। मध्य विद्यालय कैथिर में कुल 03 शिक्षा सेवक थे, जिसमें कृष्णा मांझी, संजीत राजवंशी एवं अनीता रानी मौजूद थी। लेकिन एक भी नवसाक्षर महिला का परीक्षा में शामिल नहीं किया गया। कुछ महिलाओं से परीक्षा ली जा रही थी लेकिन सभी का कॉपी शिक्षा सेवक स्वयं भर दिया था ,जब पूछा गया तो महिलाएं बोली हमें कभी पढ़ाया नहीं गया आज बोला गया आकर परीक्षा दे दीजिए प्रमाणपत्र देंगे। हमें कुछ भी पढ़ाया नहीं गया सब सर हीं लिख दिए हैं। कई जगहों पर आठवां ,मैट्रिक तो कहीं इंटर पास भी महिलाएं परीक्षा दे रही थी। उनसे पूछने पर बताया गया ,जिनका नाम है वह नहीं है। उसके बदले हम लिख दे रहे हैं। ऐसे में अब अक्षर आँचल योजना पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। इसपर शिक्षा विभाग नवादा जांच करेंगे तो पता चलेगा कि यह योजना कागजों पर हीं चल रहा है।

नवादा से सुनील कुमार की रिपोर्ट