सामाजिक न्याय और समानता के योद्धा बीपी मंडल की जयंती आज, इनकी सिफारिशों ने देश की सियासत को बदल डाला
बिंधेश्वरी प्रसाद मंडल उर्फ बीपी मंडल का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके प्रारंभिक जीवन को पिछड़े वर्गों द्वारा झेली जाने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों ने आकार दिया, जिसने उन्हें सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी
PATNA: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और मंडल आयोग के नायक बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल (बीपी मंडल) की आज 25 अगस्त (रविवार) को जयंती है। जिसको लेकर बिहार की राजधानी पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और सम्राट चौधरी समेत कई दिग्गज नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। बीपी मंडल की जयंती पर उनकी आदमकद प्रतिमा पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। पटना के देशरत्न मार्ग एवं सर्कुलर कुलर पथ चौराहा स्थित आदमकद प्रतिमा के समीप जयंती के मौके पर राजकीय समारोह का आयोजन किया गया।
कौन थे बीपी मंडल..?
बिंधेश्वरी प्रसाद मंडल उर्फ बीपी मंडल का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके प्रारंभिक जीवन को पिछड़े वर्गों द्वारा झेली जाने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों ने आकार दिया, जिसने उन्हें सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। मंडल ने उच्च शिक्षा प्राप्त की और जल्द ही राजनीति में प्रवेश किया, जहाँ उन्हें समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए व्यापक पहचान मिली।
उन्होंने बिहार के मधेपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए सांसद के रूप में कार्य किया और 1968 में एक संक्षिप्त अवधि के लिए बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। हालांकि, भारतीय समाज के लिए उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान मंडल कमीशन के रूप में सामने आया, जिसने भारतीय सामाजिक न्याय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया।
मंडल कमीशन: सामाजिक न्याय में एक मील का पत्थर
आपको बताएं कि 1979 में, बी.पी. मंडल को द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिसे आमतौर पर मंडल कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस आयोग का कार्य भारत में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उनके उत्थान के लिए उपाय सुझाना था। व्यापक अनुसंधान और विश्लेषण के बाद, मंडल कमीशन ने 1980 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो भारत में सामाजिक समानता के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण क्षण बन गया।
रिपोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 27% आरक्षण की सिफारिश की गई, जो पहले से ही अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए उपलब्ध आरक्षण के अतिरिक्त था। 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह द्वारा इन सिफारिशों के लागू होने से व्यापक बहस और विरोध हुआ, लेकिन इसने भारत के पिछड़े वर्गों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत भी सुनिश्चित की।
विरासत और प्रभाव
बी.पी. मंडल का कार्य, विशेष रूप से मंडल कमीशन के माध्यम से, ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को मौलिक रूप से बदल दिया। ओबीसी आरक्षण के लागू होने से लाखों ऐसे लोगों के लिए नए अवसर खुले, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से शिक्षा और रोजगार से वंचित रखा गया था। मंडल कमीशन ने सामाजिक न्याय, सकारात्मक कार्रवाई और भारतीय समाज में असमानताओं को दूर करने के निरंतर प्रयासों पर एक व्यापक बातचीत की भी शुरुआत की।
मंडल की विरासत आज भी महसूस की जाती है, क्योंकि उनके द्वारा समर्थित नीतियां और सिद्धांत भारत के सामाजिक न्याय के संघर्ष के केंद्र में बने हुए हैं। उनका कार्य पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण की नींव रखता है, जिससे उन्हें देश के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में एक मजबूत आवाज मिली।
बी.पी. मंडल का जीवन सामाजिक न्याय और समानता के प्रति समर्पित था। उनका कार्य, विशेष रूप से मंडल कमीशन, ने भारतीय समाज पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि पिछड़े वर्गों को वे अवसर और पहचान मिले जिनके वे हकदार हैं। जब हम बी.पी. मंडल को उनके जन्मदिन पर याद करते हैं, तो हमें सामाजिक न्याय की लड़ाई को जारी रखने और उस विरासत को आगे बढ़ाने के महत्व की याद आती है, जिसने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को बदल कर रख दिया।