आर्म्स एक्ट की त्वरित सुनवाई को जिलों में गठित होंगी विशेष अदालतें, एक वर्ष में पकड़े गए 5000 से अधिक अपराधी

जगह-जगह हथियार लहराने वाले अपराधी अब बिहार पुलिस के निशाने पर होंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय ने घातक हथियार लेकर चलने वाले अपराधियों की नकेल कसने की तैयारी पूरी कर ली है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है।

आर्म्स एक्ट की त्वरित सुनवाई को जिलों में गठित होंगी विशेष अदालतें, एक वर्ष में पकड़े गए 5000 से अधिक अपराधी
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PATNA : जगह-जगह हथियार लहराने वाले अपराधी अब बिहार पुलिस के निशाने पर होंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय ने घातक हथियार लेकर चलने वाले अपराधियों की नकेल कसने की तैयारी पूरी कर ली है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है। 

 बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बताया कि विगत एक साल में राज्य भर में आर्म्स एक्ट के 5000 हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अभाव में इन मामलों की सुनवाई में बेवजह विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और इसमें शामिल अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। बता दें कि वर्ष 2005 से 2011 के बीच आर्म्स एक्ट के मामलों का स्पीडी ट्रायल कराकर अपराधियों को एक सपाह के अंदर अदालत से सजा दिलाई जा रही थी।

 बिहार पुलिस के इस अभियान का असर यह हुआ कि लोग हथियार लेकर निकलने का साहस नहीं करते थे। लेकिन वर्ष 2011 के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट की समाप्ति के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई में विलंब होने से ऐसे मामले सुनवाई के अदालतों में लटकने लगे। पुलिस के लिए आर्म्स एक्ट के मामलों में अपराधियों को सजा दिलाने में खास समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता है। क्योंकि ऐसे अधिकतर मामलों में पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की गवाही ही अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त होती है। 

आर्म्स एक्ट (1959) कानून अवैध हथियारों के निर्माण, बिक्री, कब्जे, परिवहन, आयात और निर्यात को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग सजाएं निर्धारित हैं। जिनमें कारावास और जुर्माना दोनों शामिल हैं। उदाहरण के लिए बिना लाइसेंस के हथियार रखने पर तीन से सात साल तक की कैद और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। जबकि प्रतिबंधित हथियारों का उपयोग करने पर आजीवन कारावास और जुर्माना भी हो सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आर्म्स एक्ट के तहत सजा की मात्रा अपराध की परिस्थितियों, जैसे हथियार का प्रकार, उपयोग, और क्षेत्र (जैसे अशांत क्षेत्र) पर निर्भर करती है।