दानापुर में पूर्व सैनिकों के लिए लगा रोजगार मेला, राज्यपाल ने किया उद्घाटन, कहा-राष्ट्रहित में पूर्व सैनिकों की मदद जरूरी

सैनिक चौक स्थित करियप्पा मैदान परिसर में शुक्रवार को एक दिवसीय डीजीआर पूर्व सैनिक रोजगार मेला का आयोजन किया गया। मेले में भारतीय उद्योग परिसंघ, बिहार की महत्वपूर्ण भागीदारी रही। मेला का उद्घाटन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया।

दानापुर में पूर्व सैनिकों के लिए लगा रोजगार मेला, राज्यपाल ने किया उद्घाटन, कहा-राष्ट्रहित में पूर्व सैनिकों की मदद जरूरी

DANAPUR : सैनिक चौक स्थित करियप्पा मैदान परिसर में शुक्रवार को एक दिवसीय डीजीआर पूर्व सैनिक रोजगार मेला का आयोजन किया गया। मेले में भारतीय उद्योग परिसंघ, बिहार की महत्वपूर्ण भागीदारी रही। मेला का उद्घाटन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि 40 साल के उम्र में सैनिक सेवानिवृत्त हो जातें हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट जगत के लोगों से कहा कि प्रशिक्षित सैनिक हैं, और सेवाभाव से कार्य करेंगे। उन्होंने राष्ट्रीय हित में पूर्व सैनिकों की मदद करने की अपील की।

 ले. जनरल एसबीके सिंह ने कहा कि हाल ही में मोतिहारी में जॉब फेयर आयोजित किया गया था। केंद्र सरकार पूर्व सैनिकों को हर क्षेत्र में मदद करने के लिए वचनबद्ध है। कॉर्पोरेट जगत के सहयोग से पूर्व सैनिकों को जॉब के लिए अपील की गई है। उन्होंने कहा कि 48 कॉर्पोरेट जगत के लोगों ने भाग लिया, जिसमें करीब 19 सौ पूर्व सैनिकों शामिल हुए। झारखंड व बिहार सबएरिया के जीओसी मेजर जनरल विकास भारद्वाज ने कहा कि पूर्व सैनिकों को जॉब फेयर में कॉर्पोरेट जगत के लोगों ने भाग लिया। 

 बिहार ने इस मेले में उद्योग जगत के प्रमुख हितधारकों को जोड़ा गया, जिससे पूर्व सैनिकों के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सुलभ हो सकें। मौके पर सीआईआई के चेयरमैन गौरव साह व सीआईआई बिहार के पूर्व चेयरमैन डॉ. सत्यजीत सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इन्हें डीजीआर की टीम द्वारा सम्मानित किया गया। 

इस मौके पर गौरव साह ने पूर्व सैनिकों के कौशल, अनुशासन और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि उद्योग जगत और कॉर्पोरेट सेक्टर पूर्व सैनिकों को रोजगार देने के लिए पूरी तरह तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक अनुशासन, प्रतिबद्धता और नेतृत्व क्षमता में सर्वश्रेष्ठ होते हैं, जो किसी भी संगठन के लिए एक अमूल्य संसाधन साबित हो सकते हैं। सीआईआई  बिहार का यह प्रयास उद्योग और पूर्व सैनिकों के बीच सेतु का कार्य करेगा, जिससे न केवल सैनिकों को नए करियर के अवसर मिलेंगे, बल्कि उद्योग जगत को भी अनुशासित और प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।