दिलीप जायसवाल ने गलत तरीके से मेडिकल कॉलेज पर किया कब्जा, पीके के आरोप से गरमाई सियासत
बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर ने एक बार फिर तूफान खड़ा कर दिया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर किशनगंज के माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्जे का गंभीर आरोप लगाया। प्रशांत किशोर ने न केवल जायसवाल को निशाने पर लिया, बल्कि लालू प्रसाद यादव के परिवार को भी घेरा। उन्होंने दावा किया कि उनके परिजनों सहित 50 से अधिक नेताओं के बच्चों ने इस कॉलेज से डिग्री ली।

PATNA : बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर ने एक बार फिर तूफान खड़ा कर दिया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर किशनगंज के माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्जे का गंभीर आरोप लगाया। प्रशांत किशोर ने न केवल जायसवाल को निशाने पर लिया, बल्कि लालू प्रसाद यादव के परिवार को भी घेरा। उन्होंने दावा किया कि उनके परिजनों सहित 50 से अधिक नेताओं के बच्चों ने इस कॉलेज से डिग्री ली।
बिहार की सियासत का नया रणक्षेत्र बना मेडिकल कॉलेज
बिहार के किशनगंज का माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज सिख अल्पसंख्यक समुदाय के लिए स्थापित एक प्रतिष्ठित संस्थान है, लेकिन अब बिहार की सियासत का नया रणक्षेत्र बन गया है। जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर सनसनीखेज आरोप लगाए। प्रशांत किशोर ने दावा किया कि दिलीप जायसवाल कभी इस कॉलेज में क्लर्क थे, लेकिन उन्होने गलत तरीकों से कॉलेज पर कब्जा कर लिया और अब इसके मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। प्रशांत किशोर ने प्रक्रिया में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए CBI जांच की मांग की है। प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को भी निशाने पर लिया और उन्होंने दावा किया कि लालू के कुछ परिजनों सहित 50 से अधिक नेताओं के बच्चों ने इस कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसे प्रशांत किशोर ने ‘नेताओं का डिग्री वितरण केंद्र’ करार दिया।
कॉलेज के ट्रस्टी ने भी डॉ. दिलीप जायसवाल पर उठाए सवाल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कॉलेज के ट्रस्टी सरदार मौलेश्वर सिंह, उनकी बेटी और बेटे गुरदयाल सिंह ने भी डॉ. दिलीप जायसवाल पर गंभीर सवाल उठाए। ट्रस्टी की बेटी ने कहा कि जायसवाल ने सिख समुदाय के इस संस्थान के नियमों को तोड़-मरोड़कर कॉलेज पर नियंत्रण हासिल किया। गुरदयाल सिंह ने आरोप लगाया कि जायसवाल ने कानून का दुरुपयोग किया और कॉलेज को निजी हितों के लिए इस्तेमाल किया। ट्रस्टी की बेटी ने दावा किया कि जायसवाल ने कॉलेज की प्रबंधन प्रक्रिया में हेरफेर किया और सिख समुदाय के हितों को नजरअंदाज किया। जन सुराज ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है और किशनगंज के स्थानीय लोग भी इस मुद्दे पर जांच की मांग कर रहे हैं। जन सुराज के नेता वाईवी गिरी ने ऐलान किया कि पार्टी इस मामले में कानूनी कार्रवाई करेगी।
दिलीप जायसवाल-लालू परिवार के बीच साठगांठ का आरोप
प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को भी निशाने पर लिया और दावा किया कि लालू के कुछ परिजनों सहित 50 से अधिक नेताओं के बच्चों ने इस कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की, जिसे उन्होंने ‘नेताओं का डिग्री वितरण केंद्र’ करार दिया। किशोर ने सवाल उठाया कि पिछले 25 सालों से यह मामला क्यों दबा रहा और RJD ने इसे क्यों नहीं उठाया। उन्होंने दिलीप जायसवाल पर एक पुराने हत्या के मामले में क्लीन चिट मिलने पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि जन सुराज इस मामले को फिर से खोलेगा। प्रशांत किशोर ने दिलीप जायसवाल और लालू परिवार के बीच साठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि जब निजी स्वार्थ की बात आती है, तो ये लोग आपस में मिल जाते हैं। उन्होंने जायसवाल को राबड़ी देवी का ‘मुंहबोला भाई’ बताकर सियासी तंज कसा। प्रशांत किशोर का कहना था कि बिहार में 25 साल से यह सियासी खेल चल रहा है, लेकिन अब जन सुराज इसे उजागर करेगा।
आरोप सिद्ध हो जाएं तो राजनीति छोड़ देंगे प्रशांत किशोर
हालांकि, दिलीप जायसवाल ने इन आरोपों का खंडन करते हुए प्रशांत किशोर पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि यह जन सुराज की सियासी साजिश है, और पीके बीजेपी के नाम से फर्जी सोशल मीडिया पेज चलाकर प्रचार कर रहे हैं। दिलीप जायसवाल ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज की है। इसके जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर उनके खिलाफ आरोप सिद्ध हो जाएं तो वह राजनीति छोड़ देंगे, लेकिन जायसवाल को कॉलेज कब्जे की जांच का सामना करना होगा। बहरहाल, इस मामले का सच आना बाकी है, लेकिन यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी माहौल को और गरमा रहा है, क्योंकि किशनगंज के स्थानीय लोग और सिख समुदाय भी इस मामले में जांच की मांग कर रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि जन सुराज की यह आक्रामक रणनीति क्या बिहार की सियासत में नया मोड़ लाएगी या यह महज चुनावी शोर साबित होगा?