पटना:- गंगा नदी के तट पर बसे इलाकों में भू-जल-स्तर गया गर्त में ,यदि यही हाल रहा तो 7 साल बाद पानी को तरसेंगे पटनावासी

Water Crisis In Patna: पटना गंगा के तट के किनारे बसा है। लेकिन जलस्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट चौंकाने वाली नहीं लेकिन परेशान करने वाली ज्यादा है। यही हाल रहा तो आने वाले 7 सालों में पटना के घरों में पानी टैंकर से पहुंचाए जाएंगे।

पटना:-  गंगा नदी के तट पर बसे इलाकों में भू-जल-स्तर गया गर्त में ,यदि यही हाल रहा तो 7 साल बाद पानी को तरसेंगे पटनावासी
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NBC24 DESK:-पटनाः- बिहार की राजधानी पटना सहित आसपास के इलाकों का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। यही हाल रहा तो अगले 7 सालों में पटना के घरों में पानी पहुंचाने के लिए टैंकर लगाने पड़ेंगे। आपको बता कि एक रिपोर्ट के मुताबिक पटना जिला के 5 प्रखंडों को छोड़कर लगभग सभी में भूगर्भ जल का स्‍तर 1 से 3 फीट तक नीचे गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि हर साल पटना जिला के भूगर्भ जल में गिरावाट के दोगुने होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह आशंका प्रोफसर डॉ अशोक कुमार जो जल एवं पर्यावरण विभाग के इंचार्ज हैं। घोष कहते हैं कि यदि समय रहते लोगों ने भूगर्भ जल को रीचार्ज करने की पहल नहीं की तो आने वाले 7 सालों में राजधानी पटना को पीने के पानी के भारी संकट से गुजरना पड़ सकता है। राजधानी पटना के वाटर लेवल की ये गिरावट तब है जब शहर गंगा नदी के किनारे बसा है।

3 फीट तक पानी गया नीचे !

आपको बता दे कि दनियावां, दुलहिनबाजार, घोसवरी, खुशरूपुर में भूगर्भ 3 फीट की गिरावट दर्ज की गई है वहीं बख्तियारपुर, फतवा, पंडारक और फुलवारी शरीफ में 2 फीट पानी का स्तर नीचे चला गया है। प्रो. एके घोष इसे अलार्मिंग स्‍टेज कह रहे हैं। डॉक्टर घोष कहते हैं की बरसात के बदले पैटर्न और बेतहाशा होते निर्माण की वजह से वाटर लेवल रिचार्ज होने की जगह नहीं बची है। शहरों में हर जगह कंक्रीट के जंगल बिछाए जा रहे हैं। सड़कों पर तारकोल केले बिछाई जा रही है। बहुमंजिला इमारतें बनाई जा रही हैं। जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लिहाजा इसका खामियाजा राजधानी पटना और आसपास के इलाकों को भुगतना पड़ रहा है। प्रोफ़ेसर घोष बताते हैं कि बहुमंजिला इमारतों से भूगर्भ जल स्तर के दोहन में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। समझाने के लिए वह कहते हैं कि 4 कट्ठे के प्लॉट पर पहले चार मकान हुआ करते थे, अब बहुमंजिला इमारत बनाकर यहां 300 लोगों के रहने का इंतजाम कर दिया गया है। पानी 300 लोगों को चाहिए। इसके लिए यह 300 लोग पूरी तरीके से भूगर्भ जल पर ही निर्भर है। जिसकी वजह से राजधानी पटना सहित आसपास के इलाकों का भूगर्भ जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है।

इन इलाकों का है बुरा हाल, 10 फीट तक खिसका भूगर्भ जल स्‍तर !

साथ ही आपको बताते चले कि पटना से सटे मोकामा का भी हाल बुरा है। इस प्रखंड में भूगर्भ जल का स्‍तर सबसे नीचे है। यहां गर्मी के मौसम में पानी 30 से 45 फीट नीचे चला गया है। इस साल 15 मई को जारी आंकड़े के अनुसार पटना जिला का जलस्तर औसतन 25.27 फीट नीचे चला गया है। यह आंकड़ा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग का है। रिपोर्ट के अनुसार पालीगंज छोड़कर जिले के सभी प्रखंडों के जल स्‍तर गिरावट आई है। 30 मार्च से 15 मई के बीच बाढ़ प्रखंड में 10 फीट, अथमलगोला में आठ फीट, बेलछी में पांच फीट, मोकामा में भूगर्भ जलस्तर चार फीट नीचे चला गया है। जबकि पालीगंज प्रखंड में जलस्तर करीब एक फीट बढ़ गया है।

नियम का पालन नहीं करने से उत्पन्न हुई मुश्किल !

दरअसल डॉक्टर घोष कहते हैं कि यदि समय रहते लोग नहीं चाहते तो राजधानी पटना में वही स्थिति देखने को मिलेगी जो विदर्भ और महाराष्ट्र के इलाकों में देखने को मिलती है। इसके लिए वह सीधे तौर पर सरकार की नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि बिहार में भवन निर्माण के नियम बहुत हैं लेकिन पालन एक भी नहीं होते हैं। ऊंची इमारत बनाते वक्त 30 परसेंट ग्रीन कवर्ड एरिया छोड़ने का नियम बनाया गया है, लेकिन यह मानता कोई नहीं है। इस नियम को पालन करवाने वालों का भी कोई ध्‍यान नहीं है।

बारिश के पैटर्न में भी आया बदलाव !

हालांकि वाटर मैनेजमेंट और पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर घोष कहते हैं कि हाल के दिनों में बारिश के पैटर्न में भी बदलाव देखने को मिले हैं। यह बदलाव भूगर्भ जल स्तर को रिचार्ज करने में मददगार नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले की अपेक्षा बारिश अचानक और तेजी से हो रही है। जिसकी वजह है। जिसकी वजह से बरसात का पानी तेजी से नालों से होता हुआ नदियों और समुद्र में चला जा रहा है। कम देर के लिए हुई तेज बारिश भूगर्भ जल स्‍तर को रीचार्ज करने में मददगार नहीं होती है। रही सही कसर सड़कों और पक्‍के घरों के निर्माण से पूरी हो जा रही है। डॉ. घोष कहते हैं अब शहरों में खाली और मिट्टी वाली जगह कहां बची है? भूगर्भ जल संचित हो सके।

भूमाफिया कर रहे वाटर रीस्‍टोरेशन की जगह ब्‍लॉक !

दरसअल प्रोफेसर घोष इस बात को जोर देकर कहते हैं कि बिहार में भूमाफिया उन पॉकेट को लगातार बंद कर रहे हैं जहां से वाटर रिस्टोर हो सके। भूमाफिया वाटर रीस्टोरेशन के पॉकेट्स पर लगातार मिट्टी भरवाकर उन रास्‍तों को बंद कर रहे हैं जहां से पानी जमीन में जा पाता है। वो कहते हैं कि यही हाल रहा तो अगले 2030 तक राजधानी पटना और आस पास के इलाकों में पानी सप्‍लाई टैंकर के जरिए होती नजर आएगी। उन्‍होंने इस बात की भी आशंका जाहिर की कि वो दिन दूर नहीं जब दिल्‍ली मुंबई जैसे प्‍यासे राज्‍यों की श्रेणी में गंगा नदी के तट पर बसा जिला पटना भी शामिल हो जाएगा।

बाढ़ वाले क्षेत्रों में गिर रहा जल स्‍तर !

साथ ही आपको बताते चले बेतहाशा और अनियमित रूप से किए जा निर्माण का खामियाजा बिहार की धरती भुगतने को मजबूर है। इतना ही नहीं बिहार पटना और आस पास के शहरों के अलावा कम आबादी वाले क्षेत्रों में भी भूगर्भ जल का जम कर दोहन हो रहा है। इसमें सरकार की योजनाएं भी शामिल हैं। सरकार की लोक लुभावनी और कानों को सुनने में अच्‍छी लगने वाली योजना भी जिम्‍मेदार है। हर घर नल का जल सरकार भूगर्भ जल का दोहन कर ही घरों तक पहुंचा रही है। लगातार हो रहा दोहन भूगर्भ जल को तेजी से सुखा रहा है। नतीजा ये है कि दरभंगा, मुजफ्फरपुर जैसे इलाके जहां हर साल बाढ़ की स्थिति होती है। वहां भी भूगर्भ जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। यह हाल तब है जब बिहार के 38 में 12- 15 जिले बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं। पटना में लगातार नीचे जाते जल स्‍तर को देखते हुए टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। जिस पर पानी से संबंधित शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। जिला स्तर पर भी शिकायत केंद्र बनाया गया है। जिस पर लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।