मुख्यमंत्री ने की संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व तैयारियों की समीक्षा, अधिकारियों को दिए ये आवश्यक दिशा-निर्देश..?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुख्य सचिवालय स्थित सभा कक्ष में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी एवं वरीय पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक भी जुड़े रहे।बैठक में विकास आयुक्त सह आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बिहार मौसम सेवा केन्द्र द्वारा तैयार की गयी मॉनसून ऋतु 2025 के लिये वर्षापात के पूर्वानुमान के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष माह जून में सामान्य से कम वर्षापात होने की संभावना है। माह जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर में सामान्य वर्षापात की संभावना है। इस वर्ष जून से सितम्बर की अवधि में राज्य में सामान्य वर्षापात होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री ने की संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व तैयारियों की समीक्षा, अधिकारियों को दिए ये आवश्यक दिशा-निर्देश..?

PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुख्य सचिवालय स्थित सभा कक्ष में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी एवं वरीय पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक भी जुड़े रहे।बैठक में विकास आयुक्त सह आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बिहार मौसम सेवा केन्द्र द्वारा तैयार की गयी मॉनसून ऋतु 2025 के लिये वर्षापात के पूर्वानुमान के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष माह जून में सामान्य से कम वर्षापात होने की संभावना है। माह जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर में सामान्य वर्षापात की संभावना है। इस वर्ष जून से सितम्बर की अवधि में राज्य में सामान्य वर्षापात होने की संभावना है।

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की पूर्व तैयारियों से संबंधित मुख्य बातों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। सभी जिलों एवं संबद्ध विभागों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने नाव संचालन, पॉलिथिन शीट, राहत सामग्री की उपलब्धता, दवा, पशुचारा, बाढ़ आश्रय स्थल, सामुदायिक रसोई, ड्राई राशन पैकेट्स / फूड पैकेट्स, जिला आपातकालीन संचालन केंद्र आदि की व्यवस्थाओं के संबंध में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जिस प्रकार सामुदायिक रसोई का संचालन किया जाता है, उसकी प्रशंसा पूरे देश में है। बाढ़ राहत शिविर का संचालन, मुख्यमंत्री राहत कोष से की जानेवाली व्यवस्था, अनुग्रहिक अनुदान (जीआर) की भुगतान व्यवस्था, राज्य आपताकालीन संचालन केन्द्र के माध्यम से आपदा की स्थिति का आकलन और उसके लिये समन्वय कर त्वरित कार्रवाई के संबंध में भी उन्होंने जानकारी दी। जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव श्री संतोष कुमार मल्ल ने भी अपने विभाग द्वारा संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति से निपटने को लेकर की गई तैयारियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। राज्य सरकार बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति में प्रभावितों को हरसंभव मदद करती है, इसे ध्यान में रखते हुये सभी संबद्ध विभाग और अधिकारी सतर्क रहें।मुख्यमंत्री ने कहा कि नवम्बर, 2005 से पहले आपदा प्रबंधन के लिए ठीक से काम नहीं होता था। नवम्बर, 2005 में हमलोगों की सरकार बनने के बाद आपदा प्रबंधन एवं आपदा पीड़ितों को शीघ्र सहायता उपलब्ध कराने के लिए गंभीरता से काम किया गया। वर्ष 2007 में जो बाढ़ आई थी उससे 22 जिलों के लगभग 2.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। प्रभावित लोगों के लिए बड़े पैमाने पर राहत का कार्य किया गया था। वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी के दौरान 5 जिलों सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया एवं अररिया में लगभग 34 लाख लोग प्रभावित हुए थे जिनको राहत पहुँचाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया गया था। साथ ही विश्व बैंक से कर्ज लेकर राहत एवं पुनर्वास का काम किया गया था। वर्ष 2016 से बाढ़ प्रभावित परिवारों को आनुग्रहिक अनुदान के अंतर्गत कुल 6 हजार रूपये की राशि भुगतान करने का निर्णय लिया गया जिसे वर्ष 2023 में बढ़ाकर 7 हजार रूपये किया गया। बाढ़ एवं अन्य आपदाओं में मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 4 लाख रूपये का अनुग्रह अनुदान देने की व्यवस्था की गयी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के समय हमलोग लगातार बाढ़ एवं सुखाड़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर तथा एरियल सर्वे के माध्यम से भी स्थिति का जायजा लेते हैं ताकि लोगों को किसी तरह की समस्या नहीं हो। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी एवं संबंधित विभाग बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने के लिए पूरी तैयारी करें।मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि इस महीने के अंत तक बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने की तैयारियों पूरी कर ली जाय। जिलाधिकारी एवं विभागीय पदाधिकारी क्षेत्र में जाकर स्थिति का आकलन करें तथा लोगों से बात कर समस्याओं का समाधान करें। सभी क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मती समय पर की जाय। नदी के तटबंधों की सुरक्षा की पूरी तैयारी कर ली जाये ताकि कहीं पर तटबंध टूटने की घटना न हो। बाढ़ की स्थिति में लोगों के ईलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था कर ली जाय। पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। बाढ़ या सुखाड़ में फसल क्षति की स्थिति में किसानों की सहायता के लिए पूरी तैयारी कर ली जाय। बाढ़ या सुखाड़ की आपदा की स्थिति में लोगों को राहत पहुँचाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था पूर्व में ही कर ली जाय। आपदा प्रबंधन विभाग लगातार तैयारियों की मॉनिटरिंग करे ताकि लोगों को कोई समस्या नहीं हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम के बदलाव को ध्यान में रखते हुये हर चीज पर नजर रखनी है और पूरी तरह से सतर्क रहना है। मुस्तैदी के साथ सभी लोग लगे रहेंगे तो आपदा की स्थिति में लोगों को राहत मिलेगी। सभी जिलों के प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव जिलों में जाकर बैठक करें एवं वस्तु स्थिति की जानकारी लें और उस आधार पर कार्य करें। जून के प्रथम सप्ताह तक अपने-अपने क्षेत्रों की स्थिति एवं समस्याओं का बेहतर ढंग से आकलन कर उसके समाधान के लिये कार्य करें। बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, जल साधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा सह योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, लघु जल संसाधन मंत्री संतोष कुमार सुमन, आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. उदयकांत समेत कई अन्य अधिकारी मौजूद थे।