बिहार के इस लाल ने फिर विदेशी धरती पर बढ़ाया भारत का मान, इंग्लैंड की संसद में मिला ये अहम पुरस्कार |

बिहारवासियों के लिए गर्व की खबर है।, बिहार के एक लाल ने एक बार फिर विदेशी धरती पर भारत का मान बढ़ाया है। बिहार के लाल ने देश के साथ ही अपने बिहार का नाम भी रोशन किया है। बिहार के लाल को इंग्लैंद की संसद में एक अहम पुरस्कार से नवाजा गया है। हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति मुर्मू से भी प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा जा चुका है।

बिहार के इस लाल ने फिर विदेशी धरती पर बढ़ाया भारत का मान, इंग्लैंड की संसद में मिला ये अहम पुरस्कार |

NBC24 DESK:- बिहार के सारण जिले के पकरी गांव से जाकर उज्बेकिस्तान (ताशकंद) में व्यवसाय करने वाले अशोक तिवारी ने एक बार फिर विदेशी की धरती पर भारत का नाम रोशन किया है। आपको बता दे कि इंग्लैंड के संसद भवन (हाउस ऑफ़ कॉमन्स) में संस्कृति युवा संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया। इस सम्मान के बाद अशोक तिवारी ने कहा कि, भारतीय लोगों के सहयोग से मैं आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं। आगे भी विदेशी धरती पर भारत का मान बढ़ाने के लिए काम करता रहूंगा।

आपको बताते चले कि हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा भी 'प्रवासी भारतीय सम्मान' से नवाजा जा चूका है। तिवारी पेशे से शायना फार्मा कंपनी के CMD हैं।साथ ही बताते चले कि वे लंबे समय से अपने दवा कारोबार के साथ साथ उज्बेकिस्तान में सामाजिक रूप से भारत का प्रतिनिधित्व भी करते रहे हैं। तिवारी उज्बेकिस्तान में रहने वाले भारतीय समुदाय के चेयरमैन भी हैं। इन्होने भारत की संस्कृति, मूल संस्कार, विरासत और उसकी पहचान को विदेश की धरती में जीवित रखने के लिए समय-समय पर कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित करते रहे हैं।अशोक तिवारी ने बताया कि यह सम्मान मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। संस्कृति युवा संस्था ने उज्बेकिस्तान में भारतीय समुदाय के लिए किए गए मेरे काम को पहचाना और सराहा है। दवाइयों के व्यवसाय करने के आलावा मैं समाज को कुछ देने में विश्वास रखता हूं।

इनका कहना है कि इस पुरस्कार के लिए मैं हर भारतीय को धन्यवाद देना चाहूंगा। आप दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहते हो लेकिन आपका जज्बा हमेशा भारत माता के गौरव को बढ़ाने वाला होना चाहिए। इस पुरस्कार को मैं अपनी मां, अपने परिवार, मेरे दोस्त और मेरी कर्मभूमि उज्बेकिस्तान समर्पित करना चाहता हूं। इस महत्वपूर्ण पुरस्कार के लिए मैं उज्बेकिस्तान में बसे हर भारतीय दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। जो पिछले 20 वर्षों से मेरे हर कदम पर मेरे साथ हैं।