अपनी गलतियों से मिली सीख ही बच्चों को 'निपुण' बनाएगी, एस. सिद्धार्थ ने स्कूली बच्चों को लिखा भावुक पत्र
'निपुण दिवस' के अवसर पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बिहार के स्कूली बच्चों को जीवन पक्ष से जुड़ा एक भावुक पत्र लिखा है। उन्होंने अपने इस पत्र के माध्यम से कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को अपना ज्ञान केवल किताबों तक सीमित न रखने बल्कि जीवन पक्ष के संस्कारों से जुडने के लिए प्रेरित किया है।

PATNA : 'निपुण दिवस' के अवसर पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बिहार के स्कूली बच्चों को जीवन पक्ष से जुड़ा एक भावुक पत्र लिखा है। उन्होंने अपने इस पत्र के माध्यम से कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को अपना ज्ञान केवल किताबों तक सीमित न रखने बल्कि जीवन पक्ष के संस्कारों से जुडने के लिए प्रेरित किया है।
उन्होंने अपने पत्र में छोटे-छोटे बच्चों से सीधा संवाद करते हुए लिखा है कि आपकी निपुणता आपके व्यवहार में तब दिखती है, जब आप बुजुर्गों का सम्मान करते हैं, सच बोलते हैं, या फिर बिना कहे अपना काम स्वयं करते हैं। बता दें कि 'निपुण भारत मिशन' के तहत हर वर्ष 5 जुलाई को निपुण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल का विकास करना है।
एस सिद्धार्थ ने अपने पत्र में लिखा है 'मेरे प्यारे बच्चों, आपको पढ़ते, खेलते और मुस्कराते देखना मेरे लिए किसी त्योहार से कम नहीं है। हर सुबह जब विद्यालय में घंटी बजती है, तो मेरे अंदर एक नई उम्मीद जन्म लेती है कि आपके छोटे-छोटे कदम आज भले ही स्कूल के आंगन में हैं, पर एक दिन यही कदम देश को सही दिशा देंगे। आपके कोमल और नन्हें बाजुओं ने जो आज बस्ता उठाया है, कल यही देश की जिम्मेदारियां उठाएंगे। मुझे गर्व होता है कि आप सुबह उठते हैं, नहा-धोकर साफ पोशाक पहनते हैं, बालों में कंघी करते हैं और भोजन करके विद्यालय पहुंचते हैं।
मुझे खुशी है कि आप भाषा सीख रहे हैं ताकि अपने विचारों को सुंदरता से व्यक्त कर सकें। गणित सीख रहे हैं ताकि जीवन के निर्णय सोच-समझकर ले सकें। लेकिन मेरे बच्चों, एक निपुण बच्चा वह है जो अपनी पुस्तक पुस्तिकाओं को सहेजता है, गृहकार्य करता है, लाइन में चलता है और यातायात के नियमों का पालन करता है। जो कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में डालता है और दूसरों की मदद करता है। यदि दोस्त से गलती हो जाए तो उसे समझाता है, न कि उसका मज़ाक उड़ाता है। जो कविता तो याद करता है, पर अपने आसपास की दुनिया को भी देखता और समझता है। आपकी निपुणता आपके व्यवहार में तब दिखती है, जब आप बुजुर्गों का सम्मान करते हैं,सच बोलते हैं, या फिर बिना कहे अपना काम स्वयं करते हैं। हां, मैं चाहता हूँ कि आपको शब्दों का मतलब तो समझ में आए ही पर आप अपनी मातृभाषा में जो भी सीखते हैं, उसे अच्छी तरह से व्यक्त कर सकें। मैं चाहता हूं कि आप सवाल पूछें, तर्क करें, कल्पना करें, कुछ नया सोचें, कुछ नया खोजें।
आकाश सिर्फ नीला नहीं
अगर आपने यह समझ लिया कि आकाश केवल नीला नहीं बल्कि अनगिनत तारों और ग्रहों का रहस्यमय संसार है; मिट्टी की यह धरती एक जीवित ग्रह है, जिसमें असंख्य जीवन पलते हैं, पौधों को भी पानी चाहिए क्योंकि वह भी सांस लेते हैं, खाना बनाते हैं; नदी सिर्फ बहती नहीं, बल्कि निरंतर गतिमान रहना सिखाती है, पहाड़ जो करोड़ों साल की कहानी है, जीवन के हर संकट तूफान में डटे रहना सिखाते हैं, तो समझ लीजिये, आपने देखना शुरू कर दिया है, केवल आंखों से नहीं वैज्ञानिक सोच से भी। हां, मुझे भरोसा है कि आप सीख रहे हैं, अपनी रफ्तार से, अपनी भाषा में, अपने सवालों के जरिए और मैं, शिक्षक, शिक्षिका, माता-पिता, और पूरा शिक्षा विभाग आपके साथ हैं, हर राह पर, हर कदम पर।
उन्होंने अपने पत्र मैसेज लिखा है कि पुस्तकें आपको ज्ञान देंगी, लेकिन मानवता आपको अच्छे और बुरे का अंतर बताएगी। आपका रास्ता लंबा है, लेकिन हर दिन आप बेहतर बन सकते हैं।
मन की आवाज सुनें
अपने मन की आवाज सुनें, अपने गुरूजनों की बात मानें और सबसे ज़रूरी खुद पर भरोसा करना कभी मत छोड़ें। याद रखें “एक साधारण मनुष्य बनना, इस दुनिया में सबसे बड़ी उपलब्धि है।" अगर कभी डर लगे, तो जान ले कि अंधेरे में भी एक दिया जलाया जा सकता है। अगर गलती हो जाए, तो उससे सीखें क्योंकि यह सीख आपको निपुण बनाएगी।