नए तरीके से अनुसंधान करने के गुर सीख रहे पुलिस पदाधिकारी
देश में नया कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने के बाद पुलिस महकमा अपने पदाधिकारियों को अनुसंधान करने के नए तौर-तरीके सीख रहे हैं। ताकि निर्धारित समय में प्रभावी तरीके से सटीक अनुसंधान पूरा किया जा सके। इसके लिए सीआईडी के अधीन संचालित विशेष ट्रेनिंग सेंटर पदाधिकारियों को कानून से जुड़ी तमाम सुसंगत धाराओं पर आधारित प्रशिक्षण दे रहा है। यह जानकारी एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ ने पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन स्थित सभागार में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दी।

PATNA : देश में नया कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने के बाद पुलिस महकमा अपने पदाधिकारियों को अनुसंधान करने के नए तौर-तरीके सीख रहे हैं। ताकि निर्धारित समय में प्रभावी तरीके से सटीक अनुसंधान पूरा किया जा सके। इसके लिए सीआईडी के अधीन संचालित विशेष ट्रेनिंग सेंटर पदाधिकारियों को कानून से जुड़ी तमाम सुसंगत धाराओं पर आधारित प्रशिक्षण दे रहा है। यह जानकारी एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ ने पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन स्थित सभागार में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दी।
उन्होंने कहा कि अब तक 174 बैच में 3 हजार 137 पदाधिकारियों को तीन नए कानून समेत नए तरीके से अनुसंधान करने के तरीके को लेकर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। एडीजी ने कहा कि हाल में 8 से 21 जुलाई के बीच 350 पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें डीएसपी, इंस्पेक्टर से लेकर दारोगा तक के पदाधिकारी शामिल हैं। पूरे बिहार में अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह खास तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण की सामाग्री को निरंतर अपग्रेड किया जा रहा है।
सबसे खास है, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी, मोबाइल डाटा, लैपटॉप से सामाग्रियों को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालने, सीसीटीवी का सही तरीके से विश्लेषण करने के गुर सिखाया जा रहा है। डीएसपी रैंक के पदाधिकारियों की ट्रेनिंग पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। सीआईडी के डीआईजी जयंतकांत ने कहा कि पुलिस पदाधिकारियों को सीबीआई, एनआईए, आई4सी जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के पदाधिकारियों को बुलाकर प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। नए प्रावधान के तहत किसी मामले में तफ्तीश से जुड़े सभी मामले ई-साक्ष्य एप पर अपलोड करना अनिवार्य है।
डिजिटल साक्ष्य जुटाने के लिए यह किया जाता है। इस पर अपलोड करने पर साक्ष्यों से छेड़छान करना संभव नहीं होता है। एडीजी पारसनाथ ने कहा कि एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) को सुदृढ़ करने के लिए फॉरेंसिक लैब खासकर एफएसएल मोबाइल वैन की संख्या बढ़ाई जा रही है। वर्तमान में 17 मोबाइल वैन हैं। 34 नए वैन की खरीद होने जा रही है। इसके लिए एक वैन का सैंपल टेस्ट कर लिया गया है। आने वाले कुछ दिनों में 34 वैन की खरीद होने जा रही है।
एडीजी ने कहा कि राजगीर में क्षेत्रीय एफएसएल लैब शुरू हो गया है। पूर्णिया में जल्द ही ऐसा लैब शुरू होने जा रहा है। इसका निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो गया है। सभी एफएसएल में कर्मियों की बहाली के लिए गृह विभाग के पास नए सिरे से तैयार रोस्टर और नियमावली भेज दी गई है। अनुमति मिलने के बाद बहाली की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। फिलहाल सहायक निदेशक और वरीय सहायक वैज्ञानिक के 191 पदों पर अस्थायी बहाली की जाएगी। ताकि एफएसएल का काम समुचित तरीके से हो सके। बहाली की प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए एक विशेष एप भी तैयार किया जा रहा है।