75 की दहलीज पर नीतीश कुमार , पार्टी के भीतर भविष्य की जंग, JDU का अगला नेता कौन?
बिहार की राजनीति में लंबे समय से धुरी बने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल (यूनाइटेड) आज सत्ता और संगठन—दोनों मोर्चों पर अपने सबसे मजबूत दौर में है। केंद्र से लेकर बिहार तक एनडीए की सत्ता में निर्णायक भूमिका निभा रही जेडीयू के भीतर भले ही अभी सब कुछ स्थिर दिखता हो, लेकिन भविष्य की राजनीति को लेकर अंदरखाने मंथन तेज हो चुका है। उम्र के उस पड़ाव पर खड़े नीतीश कुमार के बाद पार्टी की कमान किसके हाथों में होगी—यह सवाल अब सिर्फ जेडीयू ही नहीं, बल्कि पूरे एनडीए के राजनीतिक भविष्य से जुड़ता जा रहा है।

1 मार्च को नीतीश कुमार 75 वर्ष के हो जाएंगे। भले ही फिलहाल उनके नेतृत्व को लेकर कोई सार्वजनिक संकट नहीं दिखता, लेकिन राजनीति में उम्र एक स्वाभाविक चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसे में जेडीयू के भीतर यह सवाल अब धीरे-धीरे एजेंडे के केंद्र में आता जा रहा है कि भविष्य के लिए पार्टी खुद को किस तरह तैयार कर रही है। खासकर तब, जब नीतीश कुमार ही जेडीयू का सबसे बड़ा चेहरा, सबसे मजबूत ब्रांड और सबसे विश्वसनीय चुनावी हथियार बने हुए हैं।

पार्टी में संजय झा, ललन सिंह और विजय चौधरी जैसे नेता संगठन और सरकार—दोनों स्तरों पर अहम भूमिका निभा रहे हैं। संजय झा जहां राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की वैचारिक और रणनीतिक लाइन को मजबूती से रख रहे हैं, वहीं ललन सिंह संगठन की कमान संभाल चुके हैं। विजय चौधरी सरकार में भरोसेमंद चेहरा माने जाते हैं और लंबे समय से नीतीश कुमार के करीबी रहे हैं। इसके बावजूद जेडीयू के एक वर्ग की ओर से निशांत कुमार को आगे लाने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है। हालांकि पार्टी नेतृत्व सार्वजनिक रूप से इस पर चुप्पी साधे हुए है और साफ संदेश देता है कि नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ा कोई भी फैसला सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ही लेंगे।

जेडीयू के सामने असली चुनौती केवल उत्तराधिकारी तय करने की नहीं है, बल्कि ऐसे नेता को तैयार करने की है जो नीतीश कुमार के राजनीतिक करिश्मे, प्रशासनिक छवि और सामाजिक संतुलन के फॉर्मूले के आसपास भी पहुंच सके। नीतीश कुमार की सबसे बड़ी ताकत यही रही है कि वे अलग-अलग सामाजिक वर्गों को साधने में सफल रहे हैं और यही वजह है कि दशकों तक सत्ता में बने रह पाए। कुल मिलाकर, जेडीयू फिलहाल सत्ता के शिखर पर जरूर है, लेकिन भविष्य की राजनीति को लेकर पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है—नीतीश कुमार के बाद कौन? और यही सवाल आने वाले समय में जेडीयू ही नहीं, बल्कि पूरे एनडीए की रणनीति की दिशा तय करेगा।
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