नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू, स्नान के लिए तालाबों एवं नदियों पर लगा व्रतियों का तांता

लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ नहाय खाय के साथ मंगलवार से प्रारंभ हो गया है। सुबह से ही तमसा (तिलैया)घाट खुरी नदी घाट, पन्चाने नदी घाट, धनार्जय नदी घाट समेत तालाबों एवं नहरों पर स्नान करने के लिए छठ व्रतियों का तांता लगा रहा

नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू, स्नान के लिए तालाबों एवं नदियों पर लगा व्रतियों का तांता

NAWADA : लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ नहाय खाय के साथ मंगलवार से प्रारंभ हो गया है। सुबह से ही तमसा (तिलैया)घाट खुरी नदी घाट, पन्चाने नदी घाट, धनार्जय नदी घाट समेत तालाबों एवं नहरों पर स्नान करने के लिए छठ व्रतियों का तांता लगा रहा। यह पर्व नवादा के महिला जनप्रतिनिधियों द्वारा भी किया जा रहा है। नवादा के बारिसलीगंज विधायक अरुणा देवी ,हिसुआ विधायक नीतू कुमारी ,पूर्व जिला परिषद अध्यक्षा पिंकी भारती समेत अन्य जनप्रतिनिधि पूरे श्रद्धा के साथ व्रत रखती है। मान्यता है कि छठी मैया और सूर्यदेव की कृपा से निःसंतान को संतान हो जाती है। असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ्य हो जाते हैं और घर परिवार में खुशियां आती हैं। नहाय खाय के दिन स्नान के बाद व्रती प्रसाद स्वरूप घर में या पूजन स्थल पर चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल (भात) पकाती हैं। पूजन के बाद व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करेंगी साथ ही घर-परिवार के सदस्यों के बीच व आसपास के लोगों को नहाय खाय के दिन का प्रसाद खिलाया जाता है। यह पकवान शुद्ध और साफ सुथरे व्यवस्था में बनाया जाता है और लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है।

मिट्टी या लोहे के चूल्हे पर आम की लकड़ी (जलावन)से छठ में भोजन पकाया जाता है। बता दें कि छठ में स्वच्छता और शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है। जिले के ग्रामीण और अर्द्ध शहरी इलाके में छठ पर्व के लिए व्रती कई माह पहले से तैयारी में जुट जाती हैं। पर्व में प्रसाद पकाने के लिए ज्यादातर जगहों (गांवों) में स्वयं मिट्टी का चूल्हा बनाती हैं। शहरी क्षेत्र में नये ईंट से भी तात्कालीक चूल्हा बनाया जाता है। विकल्प के तौर पर कई परिवार गैस स्टोव एवं लोहे का चूल्हा का भी उपयोग करते हैं। छठ में प्रसाद या पकवान तैयार करने के लिए परंपरागत बर्तनों व संसाधनों का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर घरों में प्रसाद पकाने के लिए कांसा या पीतल के बर्तन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा मिट्टी का बर्तन भी शुद्ध माना जाता है। वहीं छठ में प्रसाद तैयार के घर में मौजूद (चक्की) आदि को आज भी प्राथमिकता दी जाती है।

क्या है नहाय-खाय की मान्यता : छठ महापर्व का पहला दिन नहाय खाय होता है। इस अवसर पर व्रती दिन में एक ही बार प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसमें आम की लकड़ी के आग पर परंपरागत तरीके से खाना पकाया जाता है। इसमें चने की दाल, कद्दू और चावल (भात) पकाया जाता है। भोजन पकाने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के बर्तन का उपयोग किया जाता है। दाल, भात और कद्दू की सब्जी व्रती और उनका परिवार ग्रहण करते हैं। साथ ही इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए दोस्तों और शुभ चिंतकों को आमंत्रित करते हैं।

क्या है छठ महापर्व: पौराणिक काल से छठ मनाने की परंपरा है। इसमें छठी मैया और भगवान सूर्यदेव पूजे जाते हैं। माना जाता है कि छठी मैया, भगवान सूर्य की बहन हैं। छठ पर्व के दौरान उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। यह त्योहार पहले तो बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के सीमावर्ती इलाके में मनाया जाता था, लेकिन आज के समय में यह भारत ही नहीं दुनिया भर के विभिन्न देशों में लोग इसे मनाते हैं।

नवादा से सुनील कुमार की रिपोर्ट