बक्सर से टिकट कटने के बाद पहली बार बोले अश्विनी चौबे, कहा- परशुराम का वंशज होना मेरा कसूर
मौजूदा केंद्रीय मंत्री और बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे ने टिकट कटने के 15 दिनों अपनी चुप्पी तोड़ी है। टिकट कटने के बाद वो पहली बार मीडिया के सामने आए। चौबे ने कहा कि उनका कसूर यह है कि वह परशुराम के भक्त हैं और कर्मकांडी ब्राह्मण हैं।
PATNA: 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 19 अप्रैल को होने जा रहे पहले चरण के मतदान को लेकर बीजेपी की पूरी टीम प्रचार प्रसार में लगी हुई है। जमुई, नवादा, औरंगाबाद और गया में पहले चरण में वोटिंग होनी है। ऐसे में कई ऐसे उम्मीदवार भी हैं जिनका टिकट बीजेपी ने इस बार उम्र और एक्टिवनेस का हवाला देते हुए काटा है और युवा चेहरे को मौका दिया है। जिसमें बक्सर लोकसभा सीट से अश्विनी चौबे का भी नाम शामिल है। यहां से मिथिलेश तिवारी इस बार बीजेपी ने मौका दिया हैं।
मौजूदा केंद्रीय मंत्री और बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे ने टिकट कटने के 15 दिनों अपनी चुप्पी तोड़ी है। टिकट कटने के बाद वो पहली बार मीडिया के सामने आए। चौबे ने कहा कि उनका कसूर यह है कि वह परशुराम के भक्त हैं और कर्मकांडी ब्राह्मण हैं। वे सोशल मीडिया से लेकर सड़क और संसद तक सक्रिय रहे, फिर भी उनका टिकट कट गया। मगर उन्हें कोई नाराजगी नहीं है। बीजेपी उनकी मां है। अश्विनी चौबे ने संन्यास लेने की बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि अगले पांच साल तक वे सक्रिय रूप से राजनीति करते रहेंगे। उन्होंने इशारों में बक्सर से बीजेपी प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी को बाहरी करार देते हुए तंज भी कसा।
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उन्हें सब कुछ दिया है। संघर्ष ही उनका जीवन है। चौबे ने कहा कि वह फकीर हैं और कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। वह तो टिकट बांटने वालों में से थे। पार्टी ने टिकट काटकर उन्हें सम्मान दिया है। अब पार्टी को सम्मान देने की बारी उनकी है।
उन्होंने कहा कि टिकट कटने से वह नाराज नहीं हैं। नाराज तो वे लोग होंगे, जो बाहर से आए हैं। मैं तो बक्सर का हूं और यहीं का रहूंगा। अश्विनी चौबे ने रामचरितमानस की चौपाई सुनाकर कहा कि उन्होंने मान सहित विष पीकर जगदीश बन गए हैं। वह नीलकंठ धारी हैं और रामकाज के लिए काम करते हैं। जो हो गया सो हो गया।
अश्विनी चौबे ने आगे कहा कि उनका कसूर यह है कि वह ब्राह्मण हैं और सक्रिय रूप से राजनीति कर रहे हैं। 1966 से जेल की यात्रा कर रहे हैं। 58 साल से तपस्या कर रहे हैं। 7 बार विधानसभा और दो बार लोकसभा चुनाव जीते, कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। पार्टी के खिलाफ जाने की बात पर उन्होंने साफ किया कि वह गिरगिट की तरह रंग बदलने वालों में से नहीं हैं।
बता दें कि बक्सर से लगातार दो बार से सांसद अश्विनी चौबे का टिकट बीजेपी ने इस बार काट दिया। पार्टी ने इस बार युवा चेहरे मिथिलेश तिवारी को बक्सर से प्रत्याशी बनाया है। तिवारी मूलरूप से गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं। ऐसे में उनपर बाहरी होने का ठप्पा भी लग रहा है। वे संगठन में कई पदों पर रहे। हालांकि, स्थानीय तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में मिथिलेश तिवारी को लेकर विरोध देखा जा रहा है।