तीन दिवसीय गुरुद्वारा हांडी साहिब में सालाना जोड़ मेला धूमधाम से मनाई गई
सिख समुदाय के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के कारनामों की चर्चा तो पूरे देश दुनिया में है. सिख समुदाय के लोग गुरु महाराज के बताए रास्ते पर चलते हैं. उनका अनुशरण करते हैं. गुरु गोविंद सिंह महाराज की ऐसे ही एक चमत्कारी कहानी से जुड़ी है
PATNA: सिख समुदाय के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के कारनामों की चर्चा तो पूरे देश दुनिया में है. सिख समुदाय के लोग गुरु महाराज के बताए रास्ते पर चलते हैं. उनका अनुशरण करते हैं. गुरु गोविंद सिंह महाराज की ऐसे ही एक चमत्कारी कहानी से जुड़ी है, पटना के दानापुर स्थित हांडी साहिब गुरुद्वारा से. जहां लंगर में लोगों को खिचड़ी खिलाई जाती है. हालांकि, खिचड़ी खिलाने के पीछे जो कहानी है वह बेहद चौंकाने वाली है. सिख समुदाय के लोग इस कहानी को आस्था से जोड़कर गुरु महाराज की कृपा मानते हैं.
पंजाब के लिए हुए थे रवाना
बता दें कि देश के कोने-कोने से आए सिख श्रद्धालु गंगा नदी के किनारे अवस्थित हांडी साहिब गुरुद्वारे पहुंचते हैं और खिचड़ी का लंगर छकते हैं. इस संबंध में पटना साहिब स्थित तख्त हरमंदिर साहिब के जत्थेदार गौहर मसकीन बताते हैं कि सन् 1666 ईस्वी में गुरु गोविंद सिंह महाराज का पटना साहिब में जन्म हुआ था. 12 साल तक बाल अवस्था पूरा करने के बाद 1678 ईस्वी में गुरु महाराज अपने सैकड़ों संगत के साथ सिख धर्म की रक्षा करने के लिए पंजाब के लिए रवाना हुए थे.
यात्रा के पहले दिन जब शाम हुई तो गुरु महाराज ने दानापुर में पड़ाव डाला. वहां उन्हें एक कुटिया दिखी, जहां एक बूढ़ी महिला जिसका नाम जमुना देवी था, वो रहती थी. महाराज जमुना देवी के पास गए और बोले माई मुझे कुछ खाने के लिए दो. तब बूढ़ी महिला ने गुरु महाराज से कहा कि मैंने थोड़ी सी खिचड़ी बनाई है. कुछ मैंने खा लिया है और थोड़ी सी बची हुई है. गुरु महाराज ने कहा कि आप जितनी भी खिचड़ी बची है, उसे ले आओ.
सभी ने पेट भरकर खाई खिचड़ी
ऐसे में बूढ़ी महिला जमुना देवी ने हांडी लेकर आ गई, जिसमें खिचड़ी थी. हांडी में थोड़ी सी ही खिचड़ी बची हुई थी. लेकिन गुरु महाराज ने अपने कपड़े से हांडी को ढक दिया और उसके बाद अरदास की. फिर बूढ़ी माता को बोला कि माई मुझे और जितने भी संगत सभी को खिचड़ी परोस दो. जमुना देवी ने सैकड़ों संगत और गुरु गोविंद सिंह महाराज को खिचड़ी परोसी. सभी ने पेट भर कर खिचड़ी खा ली, लेकिन हांडी से खिचड़ी खत्म नहीं हुई.
ऐसा करने के बाद गुरु महाराज सुबह वहां से चले गए, लेकिन इसकी चर्चा दूर दूर तक हुई. ऐसे में सिख समुदाय के लोगों ने उसी कुटिया की जगह पर गुरुद्वारा बनवाया, जिसका नाम हांडी साहिब गुरुद्वारा से प्रसिद्व हुआ. इस गुरुद्वारा में लंगर के रूप में खिचड़ी का प्रसाद परोसा जाता है. देश और विदेश के लोग जब पटना साहिब के तख्त हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा आते हैं तो हांडी साहब गुरुद्वारा का दर्शन भी जरूर करते हैं और लंगर में खिचड़ी छकते हैं.प्रसाद खाकर मिलती है उर्जा
वैसे लंगर में रोटी को विशेष प्रसाद माना जाता है, जिसे सिख समुदाय के लोग महाप्रसाद मानकर रोटी खाते हैं. लेकिन हांडी साहिब गुरुद्वारा इकलौता गुरुद्वारा है, जहां रोटी की जगह खिचड़ी खिलाई जाती है. सिख समुदाय के लोग कहते हैं कि गुरु महाराज की कृपा है कि आज भी थोड़ी सी खिचड़ी बनती है, लेकिन कभी खिचड़ी कम नहीं होती है, जितने लोग आते हैं सभी लोग खिचड़ी का प्रसाद खाकर जाते हैं।
दानापुर से रजत राज की रिपोर्ट