बिहार में 42 हेडमास्टरों से होगी 16 लाख की वसूली, मिड-डे मिल को लेकर नीतीश सरकार ने लिया बड़ा एक्शन
सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल में घपला, गड़बड़ी, कीड़े, छिपकली जैसी घटनाओं की खबरें आम हो गई हैं। एमडीएम की गुणवत्ता की वजह से स्कूल अक्सर हंगामे का केंद्र बनते हैं।
PATNA: सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल में घपला, गड़बड़ी, कीड़े, छिपकली जैसी घटनाओं की खबरें आम हो गई हैं। एमडीएम की गुणवत्ता की वजह से स्कूल अक्सर हंगामे का केंद्र बनते हैं। लेकिन सरकार ने अब मिड डे मिल को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। राज्य के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ाकर दिखाना प्रधानाध्यापकों को महंगा पड़ा। शिक्षा विभाग में बने कमांड एंड कंट्रोल सेंटर पर इस तरह की शिकायतें विभिन्न जिलों से आयी थीं। विभाग के निर्देश पर मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने इसकी जांच करायी तो कई शिकायतें सही पायी गयीं। इसके बाद ऐसे स्कूलों के 42 प्रधानाध्यापकों से कुल 16 लाख से अधिक की राशि की वसूली का निर्णय निदेशालय ने लिया है।
विभिन्न जिलों के 42 प्रधानाध्यापकों पर यह कार्रवाई 13 जून से 31 जुलाई के बीच के मामलों पर हुई है। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में शिकायत आयी थी कि स्कूलों में मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चे काफी कम रहते हैं, पर इनकी संख्या को बढ़ाकर रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसके बाद निदेशालय ने संबंधित जिलों के पदाधिकारियों को भेजकर स्कूलों में औचक जांच करायी गयी।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने भी शिकायतों की त्वरित जांच और दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक मिथिलेश मिश्र भी शिकायतों की जांच से संबंधित प्रगति की समीक्षा करते हैं। कमांड एंड कंट्रेल सेंटर में कुल 997 शिकायतें मध्याह्न भोजन से संबंधित आयीं। कुछ अन्य मामलों में 27 प्रधानाध्यापकों पर अनुशासिनिक कार्रवाई का निर्णय लिया गया है।
तीन महीने की राशि जोड़कर होगी वसूली
बताया गया है कि प्रधानाध्यापकों ने बच्चों की वास्तविक संख्या में छेड़छाड़ किया। जितने बच्चों खाना खिलाया गया उससे अधिक की रिपोर्ट भेजी गयी। अब जिसने जितनी अधिक संख्या अपनी रिपोर्ट में दिखायी है, उसी आधार पर वसूली की राशि तय की जाएगी। इसमें यह भी देखा जाता है कि पिछले तीन महीने में कितने दिनों तक स्कूल खुले थे। इन दोनों को आधार बनाया जाता है।