गया में शरद पूर्णिमा की शाम सजा कवियों का मंच, धूमधाम से मनाया गया कौमुदी महोत्सव
GAYA: उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गया जी में शरद पूर्णिमा के दिन चली आ रही परंपरा को निभाते हुए हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से कौमुदी महोत्सव का आयोजन आजाद पार्क में किया गया। शीतल चांदनी और खुले-धूले आकाश के बीच कवयित्री रानी मिश्रा ने चांद गीत की बेहतरीन प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस बार कौमुदी महोत्सव लोकनृत्य पद्मश्री रामचंद्र मांझी को समर्पित किया गया। मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सभापति सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने कौमुदी महोत्सव के आयोजन पर विशद रूप से प्रकाश डाला। मगध की लुप्तप्राय कला- संस्कृति को उजागर करने का एक प्रयास है जिसमें जन-जन की भागीदारी आवश्यक है।
स्मृतिशेष रामचंद्र मांझी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर डॉ.राकेश कुमार सिन्हा 'रवि' ने प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे कलाकार की स्मृति में समारोह आयोजित किया जाना एक सार्थक कदम है। इस वर्ष गयाजी के लोक व सिने कलाकार महीधर झा महीपाल को दशरथ मांझी लोक सम्मान- 2023 प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विजय श्री और उनकी टीम की तरफ से चांद गीत प्रस्तुत कर किया गया। नेचुरल विद्यालय के बच्चों ने झूमर गीत की बेहतरीन प्रस्तुति दी। नाटक प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय और मुंबई के आमंत्रित कवियों ने अपनी काव्य प्रस्तुति से खूब तालियां बटोरी और समा बांध। जिसमें मुंबई से शंकर कैमुरी, हिमांशु बवंडर, प्रेरणा ठाकरे, ज्योति त्रिपाठी,अंकिता सिन्हा, खालिक हुसैन परदेसी जैसे कवियों की उम्दा प्रस्तुति की खूब लुफ्त उठाया।
गया से अभिषेक कुमार की रिपोर्ट