G-7 Summit: जंग के बाद पहली बार मिले पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की, जानिए इसके क्या हैं मायने?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से हिरोशिमा में मुलाकात की। यूक्रेन और रूस में जंग शुरू होने के बाद पहली बार पीाएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति एकदूसरे से मिले हैं।

G-7 Summit: जंग के बाद पहली बार मिले पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की, जानिए इसके क्या हैं मायने?

NBC24 DESK:- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन के मौके पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। पिछले साल शुरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन के मौके पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। पिछले साल शुरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक है। पीएम मोदी के साथ सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल और अन्य भारतीय डेलिगेट्स भी साथ थे। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ भी एक प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहा।

आपको बता दे कि  मोदी और जेलेंस्की के बीच मुलाकात कई मायनों में खास है। भारत  हमेशा पश्चिमी देशों और यूक्रेन को यह समझाने की मशक्कत करता रहा है कि रूस के साथ भारत के बुनियादी रिश्ते हैं, लेकिन जंग की भी सूरते हाल में जायज नहीं है। पीएम मोदी और जेलेंस्की से ​मीटिंग में भी संभवत: भारत का यही स्टैंड एक बार फिर पीएम मोदी ने दोहराया होगा। इससे पहले दिसंबर 2022 में जब पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच टेलिफोन पर बात हुई थी, तब भी भारत ने यही बात कही थी कि जंग किसी भी बात का समाधान नहीं हो सकता है। दोनों ओर शांति के साथ बातचीत करने का विकल्प ही सही है। इससे पहले अक्टूबर 2022 में भी पीएम मोदी और जेलेंस्की के बीच बात हुई थी।

भारत कभी नहीं रहा जंग का पक्षधर

हिरोशिमा में पीएम मोदी का पश्चिमी देशों के साथ मुलाकात करना और खासकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात एक बार फिर इसी बात की तस्दीक करती है कि भारत किसी भी तरह से जंग का पक्षधर नहीं है। हालांकि पश्चिमी देशों का भारत पर यह दबाव हमेशा से रहा है कि रूस जिस तरह जंग थोप रहा है, भारत को भी रूस की आलोचना करना चाहिए। 

भारत यह समझाने में सफल रहा कि रूस अहम दोस्त, पर जंग जायज नहीं

यूएन में भी रूस के विरोध में जो बिल लाए गए, भारत उसमें न्यूट्रल ही रहा। इस तरह भारत की जंग को लेकर विदेश नीति यही बात अमेरिका, यूक्रेन सहित पश्चिमी देशों को यह समझाने में सफल रही है कि भारत जहां रूस के साथ पारंपरिक मि​त्रता को अहमियत देता है, वहीं पश्चिमी देशों का इस बात पर भी समर्थन करता है कि रूस जंग रोके और यूक्रेन के साथ बातचीत करके समस्या का समाधान निकाले।