एनडीए में सीट बंटवारें के साथ ही इन कद्दावर नेताओं के सियासी भविष्य पर मंडराया खतरा, जानिये कौन हैं वो तीन नाम ...
राजनीतिक धुरंधर और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीजेपी नेता आरसीपी सिंह को लेकर सियासी गलियारे में कई तरह की बातें होने लगी है. जेडीयू से बड़े निकलने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने बड़ी उम्मीदों के साथ भाजपा का दामन थामा था लेकिन अब उनके सियासी भविष्य पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा हैं.
PATNA : लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार NDA में सीटों का बंटवारा हो गया है. नई दिल्ली में बीजेपी दफ्तर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसका ऐलान किया गया, जिसके बाद कई सियासी धुरंधरों के सियासी भविष्य पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं.
बिहार के राजनीतिक धुरंधर और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीजेपी नेता आरसीपी सिंह को लेकर सियासी गलियारे में कई तरह की बातें होने लगी है. जेडीयू से बड़े निकलने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने बड़ी उम्मीदों के साथ भाजपा का दामन थामा था लेकिन अब उनके सियासी भविष्य पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा हैं.
बता दें कि, आरसीपी सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव में नालंदा से चुनाव लड़ने की मंशा से ही भाजपा का दामन थामा लेकिन अब वे भी साइड होते दिख रहे हैं. क्योकि, नालंदा लोकसभा सीट अब जदयू के खाते में चला गया हैं, लिहाजा अब नीतीश कुमार की पार्टी का उम्मीदवार इस सीट से ताल ठोकेगा, ऐसे में ये सवाल उठ रहा हैं कि अब आरसीपी सिंह का क्या होगा.
इस कड़ी में अगला नाम हैं अरुण कुमार, लोजपा (रामविलास) के कद्दावर नेताओं में शुमार अरुण कुमार का भी पत्ता साफ होता दिख रहा है क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अरुण कुमार ने जहानाबाद से जीत हासिल की थी लेकिन इस बार ये सीट जदयू के कोटे में चली गयी है लिहाजा अरुण कुमार का भी चुनावी मैदान में उतरने का चांस अब कम ही नजर आ रहा हैं.
वही, पिछले कई दिनों से चर्चाओं में बने पशुपति कुमार पारस को भी NDA से दरकिनार कर दिया गया है और उनकी पार्टी RLJP के कोटे में एक भी सीट नहीं दी गयी है. जिसके बाद अब उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया हैं. हालांकि, सवाल ये भी उठ रहा हैं की कैसे एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद भी वो अपनी लोकसभा सीट के साथ भतीजे प्रिंस राज की सीट भी गंवा दिए.