Gyanvapi Verdict: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुलायम सिंह यादव सरकार के फैसले पर किया सवाल, कहा- 31 साल पहले पूजा रोककर गलत किया
ज्ञानवापी मसले पर सेशन कोर्ट के फैसले के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष को बड़ी राहत दी है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा जारी रखने का बड़ा आदेश दिया है। उसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि 31 साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पूजा पर रोक लगाना गलत कदम था।
VARANASI: ज्ञानवापी मसले पर सेशन कोर्ट के फैसले के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष को बड़ी राहत दी है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा जारी रखने का बड़ा आदेश दिया है। उसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि 31 साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पूजा पर रोक लगाना गलत कदम था। खास बात है कि उस दौरान राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार थी।
खास बात है कि दो शताब्दी से ज्यादा और साल 1993 तक व्यास परिवार तहखाने में पूजा कर रहा था। साल 1993 में सीएम मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पूजा पर रोक लगा दी थी। 11 दिन पहले ही जस्टिस अग्रवाल की बेंच ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, 31 जनवरी जिला जज ने व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दे दी थी। उस दौरान शैलेंद्र कुमार व्यास की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी गई थी।
कोर्ट की तरफ से आदेश जारी होने के बाद वाराणसी डीएम एमएस राजलिंगम अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर गेट नंबर चार के जरिए मस्जिद परिसर में पहुंचे और अंदर करीब 2 घंटे रहे। बाहर आने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अंजुमन इंतेजामिया मस्जदित कमेटी ने फरवरी की शुरुआत में ही जिला जज के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।