प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी में विशाल प्रवासी कार्यक्रम को संबोधित किया ।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जर्मनी के म्यूनिख में एक मेगा डायसपोरा कार्यक्रम को संबोधित किया और ठीक 47 साल पहले देश में लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए भारत में लोकतंत्र की शक्ति की सराहना की
1. संस्कृति भोजन, परिधान संगीत और परंपराओं की विविधता हमारे लोकतंत्र को जीवंत बनाती है ।
Nbc desk:- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जर्मनी के म्यूनिख में एक मेगा डायसपोरा कार्यक्रम को संबोधित किया और ठीक 47 साल पहले देश में लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए भारत में लोकतंत्र की शक्ति की सराहना की।प्रधानमंत्री जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर जर्मनी में है ।
पीएम मोदी ने अपने 30 मिनट से अधिक संबोधित करने के दौरान कांग्रेस पर भी निशाना साधा उन्होंने कहा की ,47 साल पहले लोकतंत्र को बंधक बनाने और उसे कुचलने का प्रयास किया गया था।
हर भारतीय गर्व से कह सकता है की भारत लोकतंत्र की जननी है।
संस्कृति भोजन, परिधान संगीत और परंपराओं की विविधता हमारे लोकतंत्र को जीवंत बनाती है। इसी दौरान पीएम मोदी ने अपने सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा की भारत चौथी उघोगिक क्रांति के पीछे नहीं रहेगा। अब भारत हर गांव खुले में शौच मुक्त है और 99 प्रतिशत गांव में खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा की,भारत पिछले दो साल से 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त राशन मुहैया करा रहा है. उन्होंने कहा की उपलब्धियों की यह सूचि बहुत लम्बी है। अगर मई बोलता रहा तो आपके रात्रि भोजन का समय हातम हो जायेगा। जब कोई देश सही नीयत से सही फैसला समय पर लेता है तो उसका विकास होना तय है।
- पीएम मोदी की मुख्य बातें ।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के नए भारत में जिस तेजी से लोग तकनीक को अपना रहे हैं वह रोमांचकारी है। - भारत प्रगति और विकास के लिए अधीर है, भारत अपने सपनों को पूरा करने के लिए बेताब है।
- आज भारत को खुद पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास है। इसलिए हम पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और नए लक्ष्य हासिल कर रहे हैं।
- 90 प्रतिशत वयस्कों ने भारत में कोविड के टीकों की दोनों खुराक ले ली है और 95 प्रतिशत ने कम से कम एक खुराक ली है।
- कोविड के मेड इन इंडिया टीके ने दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जान बचाई है।
- जलवायु परिवर्तन सिर्फ सरकारी नीतियों का मामला नहीं है।
- जलवायु संबंधी सतत आचरण भारत में आम लोगों के जीवन का एहम हिस्सा बन चूका है