पटना-पूर्णिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना को मिलेगी रफ्तार, पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर जोर

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना (चरण- II) के तहत पटना से पूर्णिया तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना है। लिहाजा, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने प्रारंभिक अधिसूचना से पूर्व प्राक्कलित न्यूनतम मूल्य (एमवीआर) के विशेष पुनरीक्षण का निर्देश दिया है।

पटना-पूर्णिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना को मिलेगी रफ्तार, पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर जोर
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PATNA : भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना (चरण- II) के तहत पटना से पूर्णिया तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना है। लिहाजा, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने प्रारंभिक अधिसूचना से पूर्व प्राक्कलित न्यूनतम मूल्य (एमवीआर) के विशेष पुनरीक्षण का निर्देश दिया है।

वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया जिलों के समाहर्ताओं को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने स्पष्ट किया गया है कि केन्द्रीय मूल्यांकन समिति से स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही प्रारंभिक अधिसूचना प्रकाशित करने की कार्रवाई की जाए।

अपर मुख्य सचिव ने पत्र में उल्लेख किया है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 26 (3) के अनुसार जिला समाहर्ता को किसी क्षेत्र में अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ करने से पूर्व वहां के प्रचलित बाजार मूल्य के आधार पर पुनरीक्षित मूल्य निर्धारण की कार्रवाई करनी होती है। इसी क्रम में मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की अधिसूचना के आलोक में बिहार स्टॉम्प (संशोधन) नियमावली, 2013 के उपनियम-7 के तहत एमवीआर के विशेष पुनरीक्षण का अधिकार दिया गया है।

यह निर्देश 17 जुलाई 2025 को मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद जारी किया गया है, जिसमें परियोजना से जुड़ी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता, त्वरित क्रियान्वयन और लाभकारी मुआवजा सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसान व भू-स्वामी को उनकी भूमि के बदले उचित एवं वर्तमान बाजार दर पर आधारित मुआवजा प्राप्त हो और भारतमाला परियोजना जैसी बुनियादी संरचना परियोजनाओं में कोई अनावश्यक विलंब न हो। यह निर्णय अधिग्रहण की प्रत्येक प्रक्रिया को न्यायसंगत, पारदर्शी एवं जनहितकारी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।