लालू यादव सीएम की कुर्सी छीनने को बेताब, तेजस्वी को बनाना चाहते हैं सीएम, भयभीत हैं नीतीश कुमार- विजय सिन्हा
नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बिहार के महागठबंधन की सरकार को जमकर घेरा है, उन्होंने कहा कि बिहार में अस्थिरता की सरकार है। आरजेडी और जेडीयू के नेताओं में कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है, जिसका असर सरकार के कामकाज पर पड़ रहा है...
SAHARSA: 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक गलियारे में गरमी बढ़ी हुई है। दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक से लौटने के बाद से जहां नीतीश कुमार और कांग्रेस के बीच खटपट की बातें जारी हैं। वहीं बीजेपी जेडीयू सहित सीएम नीतीश पर लगातार हमलावर है। इन्हीं सबके बीच बुधवार को बीजेपी के कार्यक्रम में सहरसा पहुंचे विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बिहार के महागठबंधन की सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि बिहार में अस्थिरता की सरकार है। आरजेडी और जेडीयू के नेताओं में कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है, जिसका असर सरकार के कामकाज पर पड़ रहा है। इसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं।
विजय सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिसने जनादेश का अपमान करते हुए चोर दरवाजे से साथ लाया था, आज उसी ने उनको चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। सत्ता और कुर्सी के लिए सीएम अपनी विचारधारा से समझौता कर चुके हैं, जिसका परिणाम है कि प्रदेश में आज पूरी तरह से राजनीति अस्थिरता का वातारवण है। राजनीतिक अस्थिरता जब-जब आता है, प्रशासनिक अराजकता चरम पर पहुंच जाता है।
विजय सिन्हा ने कहा कि जिसने मुख्यमंत्री को स्वार्थ और महत्वाकांक्षा जगाने का काम किया, वह व्यक्ति इनकी सत्ता का दुरुपयोग कर रहा है। मुख्यमंत्री को देर से एहसास हुआ कि श्रीमान लालू प्रसाद यादव हमारी कुर्सी छीनने के लिए बेताब हैं। प्रधानमंत्री बनने का सपना तो साकार नहीं होने दिया। इसलिए भयभीत हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने प्रधानमंत्री बनाने का सपना दिखाकर नीतीश कुमार को बीजेपी से अलग कराया लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो पाया. वहीं अब अपने बेटे को लालू सीएम बनाना चाहते हैं। जिस वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छिनने के डर से नीतीश कुमार भयभीत हैं।
वहीं जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफे को लेकर जारी अटकलों पर बीजेपी नेता ने कहा कि यह तो जनता दल यूनाइटेड का अंदरूनी मामला है लेकिन ललन बाबू तो पहले भी इस्तीफा देकर भागे है। बाद में लौटकर जेडीयू में आए, अब फिर भागेंगे। समाजवादियों का चरित्र इसी तरह का होता है, उस पर किसी को आश्चर्य नहीं होगा।