शराबबंदी क़ो लेकर एक बार फ़िर से बोले जीतन राम मांझी कहा -‘बिहार में शराबबंदी का गुजरात मॉडल लागू करें नीतीश’....

बिहार सीएम नितीश कुमार नें शराबबंदी क़ानून लागु किया था. साल 2016 में नीतीश सरकार नें राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के सभी दलों ने समर्थन भी किया था लेकिन समय बीतने के साथ ही शराबबंदी कानून वापस लेने या उसमें छूट देने की मांग उठने लगी.

शराबबंदी क़ो लेकर एक बार फ़िर से बोले जीतन राम मांझी कहा -‘बिहार में शराबबंदी का गुजरात मॉडल लागू करें नीतीश’....

PATNA: बिहार सीएम नितीश कुमार नें शराबबंदी क़ानून लागु किया था. साल 2016 में नीतीश सरकार नें राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के सभी दलों ने समर्थन भी किया था लेकिन समय बीतने के साथ ही शराबबंदी कानून वापस लेने या उसमें छूट देने की मांग उठने लगी. औऱ विपक्ष के साथ-साथ सत्ताधारी दल के नेता भी शराबबंदी खत्म करने की मांग उठाने लगे.

बता दें कि, पूर्व सीएम और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी शराबबंदी के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहे हैँ. महागठबंधन की सरकार में रहते हुए मांझी शराबबंदी में छूट की मांग करते रहे. औऱ सरकार में रहते हुए भी उन्होंने आरोप लगाया था कि शराबबंदी कानून की आड में गरीबों को जेल भेजा जा रहा है. साथ ही उन्होंने गुजरात की तर्ज पर बिहार में शराबबंदी कानून में छूट देने की मांग की थी. औऱ अब एक बार फ़िर जीतन राम मांझी नें शराबबंदी क़ानून क़ो लेकर अपनी मांग उठायी है.

गौरतलब हो कि, जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार में जब शराबबंदी कानून लागू हुआ था तो सभी दलों ने उसका समर्थन किया था लेकिन शराबबंदी कानून के तरह जो कार्रवाई हो रही है उससे हम सहमत नहीं हैं. गरीब तबके के लोग अगर दो ढाई सौ मिली लीटर शराब पीकर पकड़ा जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती है लेकिन दूसरी तरफ 10 बजे रात के बाद जो बड़े-बड़े अधिकारी हैं चाहे वे न्यायिक सेवा के हों, सिविल के हों या पुलिस के अधिकारी हों इसके साथ ही साथ विधायक और सांसद अपने परिवार के साथ शराब पीते हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाता है.

साथ ही उन्होने कहा की ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन गरीबों के साथ अन्याय होता है. गरीब तबके के लोग दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद थकान मिटाने के लिए थोड़ा बहुत ले लेते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है. इसके बाद उसका परिवार भूखमरी के कगार पह पहुंच जाता है. सुझाव देते हुए उन्होने कहा की ऐसी स्थिति में बिहार में गुजरात का शराबबंदी मॉडल बहुत कारगर हो सकता है. गुजरात में परमीट के आधार पर लोग जरूरत के मुताबिक शराब लेते हैं, उसी तरह की व्यवस्था बिहार में भी लागू होनी चाहिए. मांझी नें कहा की मुख्यमंत्री को इसपर विचार करना चाहिए और हो सके तो गुजरात मॉडल को लागू करना चाहिए.