CAA कानून को असंवैधानिक बताकर इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम संगठन...
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सोमवार को अधिसूचना जारी करने के बाद पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर यह कानून पूरे देश में लागू हो गया. देश में इस नागरिकता (संशोधन) अधिनियम- 2019 के लागू होने के बाद दूसरे देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम समुदाय के शर्णार्थियों को केंद्र की सरकार भारत की नागरिकता दे सकेगी.
DELHI: देशभर में सीएए कानून लागू हो गया हैं. इसके बाद अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. मुस्लिम संगठनों ने सीएए को असंवैधानिक बताते हुए उसपर रोक लगाने की मांग शीर्ष अदालत से की है. CAA अधिसूचना को लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गयी हैं.
बता दें, केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सोमवार को अधिसूचना जारी करने के बाद पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर यह कानून पूरे देश में लागू हो गया. देश में इस नागरिकता (संशोधन) अधिनियम- 2019 के लागू होने के बाद दूसरे देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम समुदाय के शर्णार्थियों को केंद्र की सरकार भारत की नागरिकता दे सकेगी.
वही, अब इस कानून के लागू होने के अगले ही दिन मुस्लिम संगठन इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. मंगलवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. उनके अनुसार, यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है. ऐसे में सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था. आईयूएमएल की ओर से देश की सबसे बड़ी अदालत में दी गई याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार दिया गया है और सीएए पर स्टे लगाने की मांग भी की गई है.
मालूम हो, सीएए को लागू किए जाने के बाद अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी। सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही मोदी सरकार इन तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी, हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू करने को लेकर सवाल भी उठाया जा रहा हैं.