IPL में शुद्ध देसी रोमांच: प्लेऑफ के चारों कप्तान भारतीय; विदेशी हेड कोच और कैप्टन का कॉम्बिनेशन बुरी तरह हुआ फेल...
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के मौजूदा सीजन में इस समय प्ले-ऑफ राउंड के मुकाबले खेले जा रहे हैं। इस राउंड के लिए जैसे ही चार टीमों के नाम साफ हुए यह तय हो गया कि इस बार ट्रॉफी कोई भारतीय कप्तान ही जीतेगा।
NBC 24 DESK:- इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के मौजूदा सीजन में इस समय प्ले-ऑफ राउंड के मुकाबले खेले जा रहे हैं। इस राउंड के लिए जैसे ही चार टीमों के नाम साफ हुए यह तय हो गया कि इस बार ट्रॉफी कोई भारतीय कप्तान ही जीतेगा। लखनऊ, मुंबई, चेन्नई और गुजरात चारों के ही कप्तान भारतीय हैं। वहीं, टूर्नामेंट की जिन टीमों ने विदेशी कप्तान रखे, वे टॉप-5 तक में फिनिश नहीं कर सकीं।
यहां तक कि जिन टीमों में हेड कोच और कप्तान दोनों विदेशी रहे, वो तो पॉइंट्स टेबल के सबसे लास्ट पोजीशन पर रहीं। आगे स्टोरी में हम जानेंगे कि IPL के 16वें सीजन में विदेशी कप्तान और कोच रखने वाली टीमें कितनी सफल हुईं। वहीं भारतीय कप्तान या भारतीय हेड कोच रखने वाली टीमों ने कैसा प्रदर्शन किया।
प्लेऑफ की चारों टीमों के कप्तान भारतीय
लीग स्टेज में जहां विदेशी कप्तानों ने स्ट्रगल किया, वहीं प्लेऑफ में पहुंचने वाली चारों टीमों के कप्तान भारतीय रहे। गुजरात के तो कप्तान हार्दिक पंड्या और हेड कोच आशीष नेहरा दोनों इंडियन हैं। वहीं चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह, मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा और लखनऊ सुपरजायंट्स के कप्तान क्रुणाल पंड्या भी भारतीय हैं, लेकिन इन तीनों ही टीमों के हेड कोच विदेशी हैं।
बुधवार को मुंबई से एलिमिनेटर में हारकर प्लेऑफ से बाहर हो चुकी लखनऊ सुपरजायंट्स की कप्तानी शुरुआती 9 मैचों में केएल राहुल ने भी की, जो भारतीय टीम के अहम खिलाड़ी हैं। यानी भारतीय कप्तान रखने वाली टीमों को IPL के इस सीजन में विदेशी कप्तानों की तुलना में ज्यादा सफलता मिली।
3 कप्तान और 7 कोच विदेशी
IPL की 10 टीमों में 10 कप्तान और उनके 10 हेड कोच हैं। 7 टीमों ने भारतीय तो वहीं 3 ने विदेशी कप्तान रखे। इससे उलट 3 ही टीमों ने भारतीय हेड कोच रखे, वहीं 7 हेड कोच विदेशी रहे। इनमें भी 2 टीमें दिल्ली कैपिटल्स और सनराइजर्स हैदराबाद के हेड कोच और कप्तान दोनों ही विदेशी हैं।
वहीं गुजरात टाइटंस और कोलकाता नाइट राइडर्स ही ऐसी टीमें रहीं, जिनमें कप्तान और कोच दोनों भारतीय हैं। इन 4 टीमों के अलावा 6 टीमें ऐसी रहीं, जिनमें या तो हेड कोच भारतीय हैं या फिर कप्तान। यानी इन 6 टीमों के लीडरशिप रोल में एक भारतीय और एक विदेशी शामिल रहा।
3 टीमों में विदेशी कप्तान, तीनों प्लेऑफ में नहीं पहुंची
IPL में पिछले साल की तरह इस बार भी 10 टीमें रखी गईं। पिछली बार जहां सिर्फ रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने साउथ अफ्रीकी फाफ डु प्लेसिस को कप्तान बनाया था और 9 टीमों ने भारतीय कप्तान रखे थे। वहीं इस बार RCB के साथ दिल्ली कैपिटल्स ने ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर और सनराइजर्स हैदराबाद ने साउथ अफ्रीका के ऐडन मार्करम को कप्तान बनाया।
SRH और DC पॉइंट्स टेबल में लास्ट पोजिशन पर रहीं। वहीं RCB छठे स्थान पर रहीं। लीग स्टेज से बाहर होने वाली टीमों में विदेशी कप्तानों के अलावा राजस्थान रॉयल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के कप्तान भारतीय रहे, लेकिन ये भी प्लेऑफ में जगह नहीं बना सकीं। ये टीमें पॉइंट्स टेबल में 5वें, 7वें और 8वें नंबर पर रहीं।
यहां देखें प्लेऑफ में क्वालिफाई नहीं करने वाली टीमों के कप्तानों और हेड कोचों के देश, साथ ही उन्होंने लीग स्टेज किस पोजिशन पर फिनिश किया...
विदेशी कप्तान और कोच का कॉम्बिनेशन फेल
पॉइंट्स टेबल में 5 ही जीत के बाद 9वें नंबर पर रहने वाली दिल्ली के कप्तान डेविड वॉर्नर तो विदेशी ही हैं, टीम के हेड कोच रिकी पॉन्टिंग भी विदेशी हैं। दोनों ही ऑस्ट्रेलिया से हैं। वहीं महज 4 जीत के साथ 10वें नंबर पर रही सनराइजर्स हैदराबाद में कप्तान ऐडन मार्करम को विदेशी कोच ब्रायन लारा का साथ मिला, लेकिन टीम कुछ खास नहीं कर सकी। लारा वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी हैं।
इतना ही नहीं पॉइंट्स टेबल में 8वें नंबर पर रही पंजाब किंग्स के हेड कोच ऑस्ट्रेलिया के ट्रेवर बेलिस हैं। टीम के कप्तान तो भारत के शिखर धवन ही हैं, लेकिन 3 मैचों में धवन इंजर्ड होकर मैच नहीं खेल सके। इनमें इंग्लैंड के सैम करन ने टीम की कमान संभाली। करन ने 3 में से टीम को 2 मैच जिताए, लेकिन धवन ने टीम के 8वें लीग मैच से वापसी कर ली।
यहां टीम का मैनेजमेंट बिगड़ा, इससे PBKS आखिरी 5 मैच हार गई और टॉप-4 में एंट्री नहीं कर सकी। यानी यहां भी आंशिक रूप से विदेशी कोच और कप्तान का ही कॉम्बिनेशन रहा और टीम पॉइंट्स टेबल में DC और SRH के ही ऊपर 8वें नंबर पर रही।
कप्तान या कोच भारतीय तो प्लेऑफ के करीब आईं टीमें
पॉइंट्स टेबल में 5 से 7 नंबर पर जो टीमें रहीं। उनमें राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन और कोलकाता के कप्तान नीतीश राणा भारतीय थे। वहीं RCB के कप्तान फाफ डु प्लेसिस तो विदेशी थे, लेकिन हेड कोच भारत के संजय बांगर रहे। यानी तीनों ही टीमों के लीडरशिप रोल में एक न एक भारतीय था और तीनों ही टीमें अपने आखिरी मैच तक प्लेऑफ क्वालिफिकेशन के करीब रहीं।
राजस्थान पॉइंट्स टेबल में पांचवें नंबर पर रही। टीम के हेड कोच श्रीलंका के कुमार संगकारा रहे, टीम ने 14 मैचों में 7 जीत से 14 पॉइंट्स हासिल किए। लीग स्टेज के आखिरी दिन अगर मुंबई इंडियंस अपना मैच हार जाती तो RR प्लेऑफ में क्वालिफाई कर जाती।
बेंगलुरु लीग स्टेज का आखिरी मुकाबला GT के खिलाफ हार गई। टीम 14 मैचों में 7 जीत से 14 पॉइंट्स लेकर छठे नंबर पर रही, अगर टीम गुजरात को हरा देती तो प्लेऑफ के लिए क्वालिफाई कर जाती।
कोलकाता में कप्तान के साथ हेड कोच चंद्रकांत पंडित भी भारतीय ही थे, लेकिन टीम 14 मैचों में 6 जीत से 12 पॉइंट्स लेकर 7वें नंबर पर रही। उन्हें लीग स्टेज के अपने आखिरी मुकाबले में एक रन की हार मिली। अगर टीम इस करीबी मैच को जीत जाती इनके भी प्लेऑफ में जगह बनाने की उम्मीद रहती।
टॉप-4 टीमों ने 8 से ज्यादा मैच भी जीते
प्लेऑफ में क्वालिफाई करने वाली टीमों में गुजरात के कप्तान और कोच दोनों ही भारतीय थे। वहीं मुंबई, लखनऊ और चेन्नई के कप्तान भारतीय रहे, लेकिन तीनों ही टीमों के हेड कोच विदेशी हैं। मुंबई के कोच साउथ अफ्रीका के मार्क बाउचर, न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग CSK के और जिम्बाब्वे के एंडी फ्लॉवर LSG के हेड कोच हैं।
गुजरात ने जहां लीग स्टेज में 10 तो वहीं बाकी टीमों ने 8-8 मैचों में जीत हासिल की। यानी गुजरात को छोड़ दें तो भारतीय कप्तान और विदेशी हेड कोच का कॉम्बिनेशन रखने वाली टीमों ने 8-8 मैच जीतकर प्लेऑफ में जगह बनाई। वहीं जो टीमें प्लेऑफ के करीब रहीं, उनमें भी कहीं न कहीं देसी और विदेशी लीडरशिप का कॉम्बिनेशन ही देखने को मिला।
तीन भारतीय ट्रॉफी उठाने की रेस में
16वें सीजन के विजेता का फैसला होने में 2 मैच और बाकी हैं। बुधवार को रोहित की कप्तानी वाली मुंबई ने एलिमिनेटर में क्रुणाल की कप्तानी वाली लखनऊ को हराकर उन्हें प्लेऑफ से बाहर किया। अब 26 मई को क्वालिफायर-2 में हार्दिक की कप्तानी वाली गुजरात का सामना मुंबई से होगा। वहीं इस मैच की विजेता 28 मई को धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई से फाइनल खेलेगी।
तीनों ही टीमें पहले भी ट्रॉफी उठा चुकी हैं। मुंबई ने 5, चेन्नई ने 4 ट्रॉफी जीती हैं, वहीं गुजरात डिफेंडिंग चैंपियन है। यानी IPL को नया चैम्पियन तो नहीं ही मिलेगा, ट्रॉफी भी किसी विदेशी कप्तान के हाथ में नहीं जाएगी।