लालू परिवार के बेहद करीबी कारोबारी अमित कात्याल के खिलाफ ED का एक्शन, एकसाथ कई ठिकानों पर मारा छापा...

अमित कात्याल के आवास अन्य अन्य स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम सर्च ऑपरेशन कर रही है. अमित के कृषि बिल्ड टेक ग्रुप के खिलाफ ईडी कार्रवाई कर रही है. रेलवे के चर्चित लैंड फॉर जॉब स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने बीती 11 नवंबर को लालू के करीबी अमित कात्याल को गिरफ्तार किया था.

लालू परिवार के बेहद करीबी कारोबारी अमित कात्याल के खिलाफ ED का एक्शन, एकसाथ कई ठिकानों पर मारा छापा...

PATNA : राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी और कारोबारी अमित कात्याल के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है. ईडी की टीम दिल्ली, गुरुग्राम और सोनीपत में कात्याल के कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. दरअसल, लैंड फॉर जॉब केस में कात्याल को पिछले साल नवंबर में ईडी ने गिरफ्तार किया गया था. अमित कात्याल पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के करीबी बताए जाते हैं.

बता दें, अमित कात्याल के आवास अन्य अन्य स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम सर्च ऑपरेशन कर रही है. अमित के कृषि बिल्ड टेक ग्रुप के खिलाफ ईडी कार्रवाई कर रही है. रेलवे के चर्चित लैंड फॉर जॉब स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने बीती 11 नवंबर को लालू के करीबी अमित कात्याल को गिरफ्तार किया था.

मालूम हो, लैंड फॉर जॉब मामले में लालू प्रसाद यादव के करीबी आरोपी अमित कात्याल की अंतरिम जमानत याचिका पर आज राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई होनी थी. अमित कत्याल ने मेडिकल आधार पर दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ाने की मांग कोर्ट से की है. हालांकि, इसी बीच ईडी ने कात्याल के ठिकानों पर रेड शुरू कर दिया है.

वही, लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में नौकरी लगवाने के बदले में कई लोगों से उनकी जमीन लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के नाम लिखवा ली गई थी.अमित कात्याल एक कारोबारी है. अमित की कंपनी का नाम जमीन के बदले नौकरी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर सामने आया था.

गौरतलब हो, अमित कात्याल वही कारोबारी है जिसने बिहार में राबड़ी देवी की सरकार के समय पटना के बिहटा के पास बीयर फैक्ट्री लगायी थी. उस कंपनी में लालू-राबड़ी की एक बेटी को डायरेक्टर भी बनाया गया था. बाद में कात्याल ने AK इंफोसिस्टम नाम की कंपनी बना ली. इस कंपनी ने बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी। इस कंपनी को जमीन बेचने वाले में ऐसे लोग भी शामिल थे जिनके परिजनों को लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते रेलवे में नौकरी दी गयी थी.