अखंड भारत के विरोध में ग्रेटर नेपाल का नक्शा: काठमांडू के मेयर ने लगाया मैप, हिमाचल-बंगाल के कुछ हिस्सों को नेपाल का क्षेत्र बताया
ग्रेटर नेपाल का एक मैप नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने जारी किया है। इस मैप में हिमाचल के पश्चिमी कांगड़ा से लेकर पश्चिम बंगाल में पूर्वी तीस्ता के क्षेत्र को ग्रेटर नेपाल का हिस्सा बताया गया है।
अखंड भारत के विरोध में ग्रेटर नेपाल का नक्शा: काठमांडू के मेयर ने लगाया मैप, हिमाचल-बंगाल के कुछ हिस्सों को नेपाल का क्षेत्र बताया
NBC24 DESK - ग्रेटर नेपाल का एक मैप नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने जारी किया है। इस मैप में हिमाचल के पश्चिमी कांगड़ा से लेकर पश्चिम बंगाल में पूर्वी तीस्ता के क्षेत्र को ग्रेटर नेपाल का हिस्सा बताया गया है। भारत की नई संसद में लगे अखंड भारत के नक्शे के विरोध में मेयर शाह ने ऐसा किया है। वहीं नेपाल सरकार ने अभी इस पर किसी भी तरह का कोई बयान नहीं दिया है। गगन थापा नेपाल की संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के महासचिव ने गुरुवार को कहा है की 'ग्रेटर नेपाल' के नक्शे को ऑफिशियली पब्लिश करना चाहिए। इसके साथ ही उनका कहना है कि अगर भारत ने कल्चरल मैप पब्लिश किया है तो हमारे पास भी हक है कि हम ग्रेटर नेपाल का कल्चरल मैप पब्लिश करें। साथ ही भारत को इससे कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए।
अखंड भारत के नक्शे पर नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने भारत का साथ दिया है। थापा के बयान पर उन्होंने संसद में कहा है कि मैंने भारत यात्रा के दौरान अखंड भारत के नक्शे का मुद्दा उठाया था। साथ ही तब भारत ने मुझे बताया कि ये सिर्फ एक सांस्कृतिक मैप है, जो सिर्फ इतिहास दिखा रहा है। इसे किसी भी राजनीतिक तौर पर बिल्कुल न देखा जाए। दरअसल, ग्रेटर नेपाल के हिस्सों को वापस लेने की मांग नेपाल में अब भी कई लोग करते रहते हैं। यहां लंबे समय से अखंड नेपाल के लिए राष्ट्रवादी कार्यकर्ता फणींद्र नेपाल में प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही नेपाल के कुछ दलों के नेताओं का कहना है कि उसका, जो हिस्सा सालों पहले भारत में मिला लिया गया था, अब उसे लौटा देना जाना चाहिए। वहीं गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर का अखंड भारत के नक्शे पर जारी विरोध के बीच बयान सामने आया था। जयशंकर ने कहा था की ये सिर्फ एक सांस्कृतिक नक्शा है जो असल में सम्राट अशोक के साम्राज्य को दिखाता है। इसका राजनीति से कोई लेनादेना बिल्कुल भी नहीं है। नेपाल जैसे फ्रेंडली देश इस बात को समझ चुके हैं।