झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव और सीनियर IAS अधिकारी पर ईडी की दबिश, पटना, पुणे समेत कई ठिकानों पर चल रही है रेड

इस वक्त की बड़ी खबर राजधानी पटना से सामने आ रही है, जहां एक सीनियर आईएएस अधिकारी के कई ठिकानों पर ED ने छापा मारा है। ईडी ने बिहार में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और वरिष्ठ IAS अधिकारी संजीव हंस के 7 ठिकानों पर रेड की है।

झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव और सीनियर IAS अधिकारी पर ईडी की दबिश, पटना, पुणे समेत कई ठिकानों पर चल रही है रेड

PATNA: इस वक्त की बड़ी खबर राजधानी पटना से सामने आ रही है, जहां एक सीनियर आईएएस अधिकारी के कई ठिकानों पर ED ने छापा मारा है। ईडी ने बिहार में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और वरिष्ठ IAS अधिकारी संजीव हंस के 7 ठिकानों पर रेड की है। इतना ही नहीं ईडी ने आईएएस संजीव हंस के इनटैक्स स्थित उनके कार्यालय पर भी छापा मारा है।

झंझारपुर के पूर्व विधायक पर ED ने कसा शिकंजा

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार ने ED ने मंगलवार सुबह झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव के घर पर छापा मारा है। गुलाब यादव के घर पर ED सुबह 6 बजे ही पहुंच गई है। वहीं सुरक्षा के लिहाज से CRPF जवानों की तैनाती कर दी गई है। बताते चलें कि ईडी ने पूर्व विधायक के पटना निजी आवास और पुणे समेत अन्य सभी ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई है।

पूर्व विधायक गुलाब यादव अपनी पत्नी अंबिका गुलाब यादव और बेटी बिंदु गुलाब यादव के साथ पटना में मौजूद हैं। मधुबनी के गंगापुर गांव में फिलहाल कोई सदस्य मौजूद नहीं है। इस आवास पर उनके दो-तीन केयर टेकर और सहायक ही मौजूद हैं। केयरटेकर से भी पूछताछ की जा रही है। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर किस मामले में उनके खिलाफ ईडी की रेड चल रही है।

2024 में बहुजन समाज पार्टी के सिंबल पर झंझारपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले गुलाब यादव 2015 में विधायक बने थे। आरजेडी के टिकट पर उन्होंने पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र को झंझारपुर विधानसभा सभा पर हराया था। हालांकि 2020 में वह चुनाव हार गए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल वह बीएसपी के सदस्य हैं।

आपको बता दें कि गुलाब यादव की पत्नी अंबिका गुलाब यादव निर्दलीय एमएलसी हैं। वहीं, उनकी बेटी बिंदु गुलाब यादव मधुबनी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं। इस इलाके में गुलाब यादव और उनके परिवार का दबदबा रहा है। यही वजह है कि जिला परिषद से लेकर विधान परिषद तक के चुनाव में बिना राजनीतिक दलों की मदद के जीत जाते हैं। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।