आज से नहाय खाय के साथ चैती छठ की हुई शुरुआत, जानें अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
आज शुक्रवार (12 अप्रैल) से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व चैती छठ की शुरुआत हो गई है। आज पहला दिन नहाय-खाय है। इसके बाद कल शनिवार (13 अप्रैल) को खरना होगा, रविवार (14 अप्रैल) को शाम के अर्घ्य के साथ सोमवार (15 अप्रैल) को सुबह में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा
PATNA: आज शुक्रवार (12 अप्रैल) से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व चैती छठ की शुरुआत हो गई है। आज पहला दिन नहाय-खाय है। इसके बाद कल शनिवार (13 अप्रैल) को खरना होगा, रविवार (14 अप्रैल) को शाम के अर्घ्य के साथ सोमवार (15 अप्रैल) को सुबह में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा।
पंचांग के अनुसार चैती छठ का पर्व 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच मनाया जाएगा। जिसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ शुरू हो गई है। नहाए खाए के दिन चावल दाल कद्दू का सब्जी का बड़ा विशेष महत्व है। शुद्धता के साथ इस प्रसाद को तैयार किया जाता है। व्रती के साथ-साथ पूरा परिवार प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं।और यहां से 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ होता है।
14 अप्रैल रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को छठव्रती अर्घ्य अर्पित करेंगे। शाम 5:20 से लेकर 5:55 बजे तक अर्घ्य अर्पण करने का शुभ समय होगा। इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर या ईंट के चूल्हे पर छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है। ठेकुआ तैयार किया जाता है और उसके बाद ऋतु के अनुसार फल का दउरा तैयार किया जाता है और शाम होने के साथ छठवर्ती के साथ-साथ पूरे परिवार छठ घाट पर पहुंचते हैं।
दूसरे दिन सुबह 15 अप्रैल सोमवार को छठ वर्ती अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इसके साथ ही महापर्व का समापन हो जाएगा। सुबह 5:45 से लेकर के 5:55 बजे तक सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त है।
सनातन धर्म में छठ का बड़ा विशेष महत्व है। साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है ।पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में। भले ही कार्तिक मास की छठ का धूम देखने को मिलता है लेकिन अब हिंदू सनातन चैती छठ को भी बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं।