पैक्सों और व्यापार मंडलों में हुआ 6,158 गोदामों का निर्माण, 200, 500 और 1000 मीट्रिक टन है इन गोदामों की क्षमता

बिहार सरकार का सहकारिता विभाग किसानों को सशक्त करने और उनके जीवन में खुशहाली लाने के लिए लगातार काम कर रहा है। विभाग की योजनाएं किसानों की जिंदगी में नया सबेरा लेकर आ रही हैं। हाल के वर्षों में विभाग ने कृषि उपज के सुरक्षित भंडारण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है। इसी कड़ी में राज्य के पैक्सों और व्यापार मंडलों में विभाग गोदामों का निर्माण करवा रहा है।

पैक्सों और व्यापार मंडलों में हुआ 6,158 गोदामों का निर्माण, 200, 500 और 1000 मीट्रिक टन है इन गोदामों की क्षमता
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PATNA : बिहार सरकार का सहकारिता विभाग किसानों को सशक्त करने और उनके जीवन में खुशहाली लाने के लिए लगातार काम कर रहा है। विभाग की योजनाएं किसानों की जिंदगी में नया सबेरा लेकर आ रही हैं। हाल के वर्षों में विभाग ने कृषि उपज के सुरक्षित भंडारण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है। इसी कड़ी में राज्य के पैक्सों और व्यापार मंडलों में विभाग गोदामों का निर्माण करवा रहा है। 

विभाग की गोदाम निर्माण योजना के तहत अब तक राज्य के पैक्सों एवं व्यापार मंडलों में अब तक 6,994 गोदामों के निर्माण को स्वीकृति मिल चुकी है, जिनमें से 6,158 पूरी तरह बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि 836 गोदामों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 6,158 गोदामों का निर्माण कार्य पूर्ण होने से राज्य में करीब 16.9135 लाख मिट्रिक टन भंडारण क्षमता सृजित हुई है। राज्य सरकार के सहकारिता विभाग ने यह उपलब्धि पैक्सों के माध्यम से हासिल की है। राज्य में इतनी बड़ी संख्या में गोदामों के निर्माण से ग्रामीण अर्थव्यस्था को गति मिलेगी।

योजना के तहत 200, 500 और 1000 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदामों का निर्माण किया जा रहा है। गोदाम निर्माण के लिए 50 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में और 50 प्रतिशत चक्रीय पूंजी के रूप में (ब्याज सहित) प्रदान की जाती है। चक्रीय पूंजी की वापसी 10 वर्षों में 20 अर्द्धवार्षिक किस्तों में की जाएगी। सरकारी भूमि को निर्माण के लिए प्राथमिकता दी जा रही है। गोदाम निर्माण की लागत में भी संशोधन किया गया है, अब 1,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम की लागत 72.67 लाख रुपये, 500 मीट्रिक टन वाले की 34.59 लाख रुपये और 200 मीट्रिक टन वाले की 17.12 लाख रुपये निर्धारित की गई है।

 गोदाम निर्माण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला स्तर पर निगरानी की जाती है। जिला पदाधिकारियों द्वारा नियुक्त अभियंताओं के माध्यम से निर्माण कार्य का निरीक्षण किया जाता है। साथ ही, सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी नियमित रूप से स्थलों का दौरा करते हैं। धनराशि चार चरणों में जारी की जाती है, जिसमें प्रत्येक चरण के लिए निर्माण मानकों का पालन अनिवार्य है।