देश के शीर्ष पांच निवेश अनुकूल राज्यों में शामिल होग बिहार, अब सरकार करने जा रही बड़ा काम

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी राज्य की तेज आर्थिक तरक्की और रोजगार पैदा करने के लिए वृहद पैमाने पर औद्योगीकरण का होना जरूरी है। बिहार सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया है। औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या जो वर्ष 2005 में 46 थी, वह बढ़कर अब वर्ष 2025 में 94 हो गयी है। औद्योगिक इकाइयों की संख्या वर्ष 2005 में 1674 थी, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 3500 हो गयी है। इसी प्रकार वर्ष 2005 में बिहार से औद्योगिक उत्पादों का निर्यात जो मात्र 25 करोड़ रुपये था, वह बढ़कर वर्ष 2025 में 17 हजार करोड़ रुपये हो गया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की संख्या 2005 के मुकाबले 72 हजार से बढ़कर 2025 में 35 लाख हो गयी है और बिहार के जीएसडीपी में उद्योगों का योगदान वर्ष 2005 के 5.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2025 में 21 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है। यह सरकार द्वारा बिहार के औद्योगिक विकास के लिए किये गये प्रयासों को दर्शाता है।

देश के शीर्ष पांच निवेश अनुकूल राज्यों में शामिल होग बिहार, अब सरकार करने जा रही बड़ा काम
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PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज 1, अणे मार्ग स्थित 'संकल्प' में उद्योग विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। बैठक में मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने अगले पांच वर्ष में राज्य के औद्योगिक विकास के लिए तैयार की गयी कार्य योजना प्रस्तुत की। इस दौरान उन्होंने दो दशक की औद्योगिक विकास गाथा, प्रमुख औद्योगिक इकाइयों, बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज-2025, बिहार में उद्यमिता एवं स्वरोजगार के लिए प्रयास, आगामी पांच वर्षों के लिये 'बिहार औद्योगिक संकल्प' सहित अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदुओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यहां ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जायेगा। आधुनिक फूड प्रोसेसिंग और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के साथ 5 नये मेगा फूड पार्क स्थापित किये जायेंगे। 

10 औद्योगिक पार्क एवं 100 एमएसएमई पार्कों का विकास किया जायेगा। उद्योग प्रासंगिक कौशल और उद्यमिता में अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जायेगा। गयाजी के डोभी में 1700 एकड़ में फैले इंटिग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना प्रक्रिया को तीव्र गति से बढ़ाया जा रहा है। राज्य के 29 जिलों में फैले 14036 एकड़ क्षेत्र में इंटिग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के जैसे 31 नये अत्याधुनिक औद्योगिक पार्क स्थापित किये जायेंगे।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी राज्य की तेज आर्थिक तरक्की और रोजगार पैदा करने के लिए वृहद पैमाने पर औद्योगीकरण का होना जरूरी है। बिहार सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया है। औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या जो वर्ष 2005 में 46 थी, वह बढ़कर अब वर्ष 2025 में 94 हो गयी है। औद्योगिक इकाइयों की संख्या वर्ष 2005 में 1674 थी, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 3500 हो गयी है। इसी प्रकार वर्ष 2005 में बिहार से औद्योगिक उत्पादों का निर्यात जो मात्र 25 करोड़ रुपये था, वह बढ़कर वर्ष 2025 में 17 हजार करोड़ रुपये हो गया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की संख्या 2005 के मुकाबले 72 हजार से बढ़कर 2025 में 35 लाख हो गयी है और बिहार के जीएसडीपी में उद्योगों का योगदान वर्ष 2005 के 5.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2025 में 21 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है। यह सरकार द्वारा बिहार के औद्योगिक विकास के लिए किये गये प्रयासों को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब बिहार को भारत के शीर्ष पांच निवेश अनुकूल राज्यों में सम्मिलित करने के लिए उद्योग विभाग देश-दुनिया के प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों में निवेशक सम्मेलनों का आयोजन करेगा, ताकि बड़े से बड़े उद्योगों को आकर्षित किया जा सके। हमलोगों ने अगले 5 वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत Ease of Doing Business (EoDB) को बढ़ावा देना, आधुनिक फूड प्रोसेसिंग और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के साथ 5 नए मेगा फूड पार्क स्थापित करना, राज्य में 10 औद्योगिक पार्क एवं 100 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम पार्कों को विकसित करना, उद्योग-प्रासंगिक कौशल एवं उद्यमिता में 7 लाख लोगों को प्रशिक्षित करना तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम निदेशालय की स्थापना एवं सभी जिलों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम केंद्र स्थापित करना शामिल है। इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों के निर्यात एवं बाजार की सुविधा उपलब्ध कराना प्रमुख है।

राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत कुल 44,073 उद्यमियों को प्रोत्साहन राशि दी गयी है। इससे लोग अपना खुद का उद्योग या कारोबार कर रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। बिहार को पूर्वी भारत का नया टेक हब बनाने के उद्देश्य से डिफेंस कॉरिडोर, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, मेगा टेक सिटी एवं फिनटेक सिटी की स्थापना के लिए कार्ययोजना के निर्माण तथा उसके कार्यान्वयन के सतत अनुश्रवण के लिए शीर्ष समिति का गठन किया गया है। साथ ही, बिहार को एक 'वैश्विक Back end-Hub' एवं 'ग्लोबल वर्क प्लेस' के रूप में विकसित एवं स्थापित करने के लिए कार्ययोजना बनाकर उसके कार्यान्वयन के लिए सतत अनुश्रवण करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा प्रतिभाशाली युवाओं एवं उद्यमियों को राज्य अंतर्गत स्टार्टअप एवं अन्य न्यू एज इकोनॉमी प्रक्षेत्र के रोजगारोन्मुखी गतिविधियों को विस्तारित करने के लिए कार्ययोजना बनाकर उसके कार्यान्वयन एवं सतत अनुश्रवण की व्यवस्था की गई है।

गयाजी के डोभी में लगभग 1,700 एकड़ में फैले Integrated Manufacturing Cluster (IMC) की स्थापना प्रक्रिया को तीव्र गति से आगे बढ़ाया जा रहा है, और जल्द ही उसका शुभारंभ भी कर दिया जाएगा। राज्य के 29 जिलों के 14,036 एकड़ भूमि पर फैले Integrated Manufacturing Cluster (IMC) मॉडल की तर्ज पर 31 नए अत्याधुनिक औद्योगिक पार्क स्थापित किए जाएंगे, जिसमें 10 सेक्टर-विशेष पार्क जैसे कि टेक्सटाइल पार्क, फार्मा पार्क आदि शामिल होंगे। राज्य में तीव्र औद्योगिक विकास पर कुल 26,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बिहार में अब उद्योगों की स्थापना के लिये सभी गुणवत्तापूर्ण आधारभूत संरचनायें उपलब्ध हैं, जैसे- अच्छी सड़क मार्ग, रेलवे एवं हवाई मार्ग से अच्छी सम्पर्कता, निर्बाध विद्युत आपूर्ति। राज्य में कानून का राज स्थापित है एवं विधि व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर है। साथ ही हमलोग यह भी सुनिश्चित करेंगे कि राज्य के युवाओं को रोजगार के लिए किसी मजबूरी में राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेl

बैठक में उपमुख्यमंत्री स्रमाट चौधरी, जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, विकास आयुक्त मिहिर कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, उद्योग विभाग के सचिव कुंदन कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ. गोपाल सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. चन्द्रशेखर सिंह, उद्योग विभाग के निदेशक मुकुल कुमार गुप्ता एवं उद्योग विभाग (तकनीकी विकास) के निदेशक शेखर आनंद उपस्थित थे।