मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भगवान बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर किया नमन, कहा-इतिहास के अमर नायक हैं 'धरती आबा'
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कुछ ऐसे नायक हैं, जिनके बलिदान ने न केवल अपने समुदाय को, बल्कि पूरे राष्ट्र को प्रेरित किया। भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें आदिवासी समुदाय 'धरती आबा' के रूप में पूजता है, ऐसे ही एक अमर नायक हैं।

RANCHI : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कुछ ऐसे नायक हैं, जिनके बलिदान ने न केवल अपने समुदाय को, बल्कि पूरे राष्ट्र को प्रेरित किया। भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें आदिवासी समुदाय 'धरती आबा' के रूप में पूजता है, ऐसे ही एक अमर नायक हैं।
उनकी शहादत जो मात्र 25 वर्ष की आयु में हुई आज भी स्वतंत्रता न्याय और सांस्कृतिक पहचान की लड़ाई का प्रतीक है। 9 जून 1900 को रांची की जेल में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी गाथा आज भी लाखों लोगों के दिलों में जीवित है। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन और उनके द्वारा नियुक्त जमींदारों ने आदिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन से वंचित करना शुरू कर दिया। जमींदारी प्रथा और भारी करों ने आदिवासी समुदाय को शारीरिक और मानसिक रूप से शोषित किया। बिरसा मुंडा ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और 1895 में उलगुलान का बिगुल फूंका।
यह विद्रोह केवल जमीन की लड़ाई नहीं थी, बल्कि आदिवासी अस्मिता, स्वायत्तता और संस्कृति को बचाने का एक संग्राम था। बिरसा ने आदिवासियों को संगठित किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उनके भाषणों ने लोगों में स्वतंत्रता की अलख जगाई। उन्होंने घोषणा की विक्टोरिया रानी का राज खत्म अब मुंडा राज शुरू। इस नारे ने आदिवासियों में नया जोश भरा। बिरसा ने न केवल ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, बल्कि सूदखोर महाजनों और मिशनरियों के शोषण के खिलाफ भी आवाज उठाई।